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SAANCH KI AANCH / साँच की आँच विस्थापित सत्य से जूझती कहानियाँ

Author Name: Dr. Arti 'lokesh' | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

‘साँच की आँच’ सत्य से जूझती ग्यारह कहानियों का अद्भुत संगम है जिनमें प्रेम, संघर्ष, लगन, श्रद्धा, आत्मबल की पावक में परिशुद्धता ग्रहण कर संशय, भेदभाव, लोभ, स्वार्थ को तिरोहित करती हुई त्याग, समर्पण, समानुभूति व विवेकपूर्ण विचारों-भावनाओं का उदय प्रतिध्वनित होता है। संग्रहित कहानियों में से अनेक किस्से प्रवासी व्यथा व वेदना-संवेदना को मुखरित करते हैं। नवागत ग्रामबाला की दुबई के विद्यालय में अस्तित्व की लड़ाई हो या दुबई में पोषित बालकों का भारत के परिवेश से सामंजस्य स्थापना के लिए जूझना, पिता की मृत्यु पर पहुँच न पाना, एक प्रवासी मन की अकुलाहट के प्रत्यक्ष दर्शन का आमंत्रण है। प्रवासी भूमि की मिट्टी और जन्मभूमि की मिट्टी के गुण-दोषों का आकलन भी कलम से साथ-साथ ही बहकर कहानी में गढ़ता जाता है। परंपराओं से आधुनिकता की यात्रा के कई पड़ाव इन कहानियों के कथ्य बनकर उभरे हैं।    

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डॉ. आरती 'लोकेश'

दुबई निवासी तथा उत्तर प्रदेश के सुशिक्षित-संभ्रांत परिवार की पुत्री डॉ. आरती ‘लोकेश' ने अंग्रेज़ी साहित्य स्नातकोत्तर में कॉलेज में द्वितीय स्थान व दिल्ली से हिंदी साहित्य स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। राजस्थान से हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि हासिल की। तीन दशकों से विभिन्न शैक्षणिक पदों पर कार्यरत शिक्षाविद डॉ. आरती यू.ए.ई के प्रतिष्ठित विद्यालय में प्रशासनिक पद पर आसीन हैं। साथ ही साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं। पत्रिका, कथा-संग्रह, कविता-संग्रह संपादन तथा शोधार्थियों को सह-निर्देशन का कार्यभार भी सँभाला हुआ है। कुल प्रकाशित सात पुस्तकों में से उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’; काव्य संग्रह ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, तथा ‘प्रीत बसेरा’ बहुत चर्चित हुए हैं। शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य’ प्रकाशनाधीन है। काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’, कथा-संकलन ‘झरोखे’ तथा शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय के गद्य में सामाजिक चेतना’ की ई-पुस्तक भी प्रकाशित है। 

अनेक कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं  ‘शोध दिशा’, ‘इंद्रप्रस्थ भारती, ‘गर्भनाल’, ‘वीणा’, ‘परिकथा’ ‘दोआबा’ तथा ‘समकालीन त्रिवेणी’ में प्रकाशित हुई हैं। 

आलेख: ‘वर्तनी और भ्रम व्याप्ति’ ‘गर्भनाल’ पत्रिका तथा ‘खाड़ी तट पर खड़ी हिंदी’ ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। 

प्रवासी साहित्य: कविताएँ ‘मुक्तांचल’ पत्रिका के ‘प्रवासी कलम’ कॉलम में प्रकाशित हैं। 

‘माँ तुम मम मोचन’ तथा ‘तुम बिन जाऊँ कहाँ’ कविताएँ साहित्यपीडिया द्वारा पुरस्कृत, सम्मानित तथा काव्य-संग्रह ‘माँ’ व ‘कोरोना’ में संकलित हैं। 

यात्रा संस्मरण-  ‘प्रणाम पर्यटन’ नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में यूक्रेन देश का यात्रा संस्मरण ‘कीव- नैपर नदी के तट पर’, यात्रा वृत्तांत: ‘अद्वितीय सुषमा का धनी: मोंटेनेग्रो’ तथा अन्य यात्रा संस्मरण: ‘सुरम्य घाटियों-पहाड़ियों का देश-बिशकेक’ प्रकाशित हुआ। 

तथ्यात्मक आलेख ‘अरब संस्कृति की झाँकी: संयुक्त अरब अमीरात’ प्राचीनतम पत्रिका ‘वीणा’ में 2 खंडों में प्रकाशित है। 

अंग्रेज़ी आलेख: अंग्रेज़ी भाषा में खाड़ी देशों की साप्ताहिक पत्रिका ‘फ्राइडे’ में समय-समय पर प्रकाशित  हुए। 

शोध-पत्र, लेख, लघुकथाएँ एवम् कविताएँ आदि विभिन्न साझा-संग्रहों में प्रकाशित हुईं। 

डॉ. आरती को लेखन का श

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