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UTTARPARA AAKHYAN / उत्तरपाड़ा आख्यान

Author Name: Maharshi Arbind Ghosh | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

अपने एक वर्ष के कारावास के दौरान अरबिन्द लंबे समय तक एकांतवास में रहते हैं। इसी दौरान उनको आत्मसाक्षात्कार होता है और वह योग साधना के उच्च स्तर पर पहुँचते हैं। 1909 में जेल से बाहर आने के पश्चात वह राजनैतिक सक्रियता त्याग देते हैं और नया उद्देश्य धारण करते हैं। वह भारतीय सांस्कृतिक जागरण और राष्ट्रवाद के जागरण को एक दूसरे का पर्याय घोषित करते हैं। जेल से बाहर आने के पश्चात उत्तरपाड़ा में अरबिन्द ने ऐतिहासिक महत्व का अपना पहला सार्वजनिक आख्यान दिया जो उत्तरपाड़ा आख्यान के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध हो गया।

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महर्षि अरबिंद घोष

      अरविन्द घोष या श्री अरविन्द एक महान योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी।

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