You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palशनि संहिता को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के विषय में भली प्रकार समझ पाएं और उनके बारे में समझ कर उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। शनि एक संस्कृत शब्द है। ‘शनये कमति सः’ जिसका अर्थ है ‘अत्यन्त धीमा’। जिस कारण शनि की गति बहुत धीमी है। शनि की गति भले ही धीमी हो पर शनि देव को बहुत ही सौम्य देव माना जाता है। शनि देव सूर्य देव के पुत्र होने के कारण बहुत ही शक्तिशाली हैं, शनि देव का तेज़ और शक्ति देवताओं में सर्वमान्य है। शनि देव अत्यधिक क्रोधी एवं दयालु हैं। जिस कारण मानवों और देवताओ में शनि देव का डर व्याप्त है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि शनि देव पाप करने वालों को और अन्याय करने वालों को अपनी दशा या अंतर दशा में दण्डित करते हैं। शनि देव ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह प्रकृति के नियम को बनाए रखें और प्रकृति का संतुलन बना रहे। एक प्रकार से शनि देव संतुलन बनाने का कार्य करते हैं, ताकि अन्याय को समाप्त कर जीवों और देवताओं को न्याय दिला सकें। शनि देव के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं। जिस कारण शनि देव को शुभ नहीं माना जाता है जो कि नितांत उचित नहीं है। शनि देव पाप और अन्याय करने वालों को भिखारी तक बना सकते है। ताकि बुरा कर्म करने से पूर्व जीवों में भय हो और किसी पर अन्याय न हो सकें। जो कोई भी पाप के मार्ग पर चलता है भगवान शनि देव उसको कहीं भी दण्ड दें सकते हैं, चाहे वह भू-लोक हो या पाताल हो। कहा जाता है कि शनि देव के गुरु देव आदिदेव महादेव हैं। महादेव ने ही शनि देव को न्यायाधीश बनाया। इसलिए शनि देव को सर्वोच्च न्यायाधीश माना जाता हैं। शनि देव का वर्ण नील हैं, और उन्हें कलयुग का देवता माना जाता है।
गुरु गौरव आर्य
गौरव आर्य का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ। बचपन से शांत और सरल स्वभाव के मालिक रहने के कारण अपनी साधना और पढाई लिखाई में ही समय व्यतीत किया। अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण करने के उपरांत विज्ञान के क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया और उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी से वर्ष २०१४ में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, बचपन से ही धर्म और ज्योतिष, तंत्र के प्रति झुकाव रहने के कारण, इन गुप्त विधान में ज्यादा समय व्यतीत करने लगे। लेकिन अभियंता होने के कारण कुछ कम्पनी के साथ काम करने के उपरांत मशीन को डिज़ाइन करने का कार्य ४ सालो तक किया, लेकिन अपने व्यक्तित्व और धार्मिक प्रवृत्ति के कारण चाहने वाले शिष्यों की संख्या बढ़ने लगी कारणवश अपनी नौकरी को छोड़कर "आस्था और अध्यात्म" नामक एक संस्थान का निर्माण किया। अपनी ज्योतिष विद्या और यन्त्र शक्ति के आधार पर काफी लोगों को जीवन दिया, न जाने कितनों की गृहस्थी को नया जीवन दिया, जीवन से हार चुके लोगों को जीवन का उद्देश्य दिया, भगवान् शनि के प्रति बचपन से ही आस्था होने के कारण अपना सम्पूर्ण जीवन लोगों की सेवा में ही समर्पित कर दिया, काफी सत्य भविष्यवाणी करने के उपरांत २०१७ में देव भूमि उत्तराखंड में ‘ज्योतिष श्री’ से सम्मानित किया गया फिर २०१८ में मुख्यमंत्री उत्तराखंड द्वारा ‘ज्योतिष विभूषण’ से सम्मानित किया गया। अपने शिष्यों को अप्सरा सिद्धि, बगलामुखी साधना और अन्य साधनायें सम्पन्न करा चुके हैं और कराते रहेंगे यंत्रो के महत्व को समझ कर यंत्रो के निर्माण पर ध्यान दिया और तंत्र विज्ञान में १००० से अधिक नवीन यंत्रो का निर्माण किया, जो ज्योतिष के उपाय के रूप में काफी सहायक है।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.