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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalGuru Gaurav Arya is an Indian Astrologer and Researcher. He Is practicing in astrology since 2007. Now, After the completion of many cases, he is providing Astrological Services in the world. He is an Indian Astrologer & Researcher. By profession, he is an Astrologer/Paranormal Expert and Occult master. At the beginning of Career he was a Mechanical Engineer after the completion of Engineering Projects he started Astrology Consulting. Now The Acharya Gaurav Arya is a leading name in Astrology. He wrote many books in the Hindi Language like “Shree Shani Samhita”, “Yantra Tatvam”. AchievRead More...
Guru Gaurav Arya is an Indian Astrologer and Researcher. He Is practicing in astrology since 2007. Now, After the completion of many cases, he is providing Astrological Services in the world.
He is an Indian Astrologer & Researcher. By profession, he is an Astrologer/Paranormal Expert and Occult master. At the beginning of Career he was a Mechanical Engineer after the completion of Engineering Projects he started Astrology Consulting. Now The Acharya Gaurav Arya is a leading name in Astrology. He wrote many books in the Hindi Language like “Shree Shani Samhita”, “Yantra Tatvam”.
Achievements
In 2017 Gaurav Arya awarded Jyotish Shree by CM of Uttarakhand and in 2018 he was awarded by Jyotish Vibhushan by CM of Uttarakhand, and in 2019 he was awarded and Award of Excellence in Astrology. Astrologer Gaurav Arya is Indian Paranormal Expert and occult master, he is regularly teaching Siddhi Sadhna to pupils.
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शनि चालीसा का अर्थ है भगवान् शनि देव का वर्णन करना उस वर्णन से शनि प्रसन्न होते है । यहाँ पर चालीसा का अर्थ है की अगर नियम अनुसार चालीस दिनों तक नियम अनुसार शनि चालीसा का पाठ किया
शनि चालीसा का अर्थ है भगवान् शनि देव का वर्णन करना उस वर्णन से शनि प्रसन्न होते है । यहाँ पर चालीसा का अर्थ है की अगर नियम अनुसार चालीस दिनों तक नियम अनुसार शनि चालीसा का पाठ किया जाये तो यह शनि चालीसा सिद्ध हो जाती है। जब कोई भी भक्त शनि चालीसा का नियम से चालीस दिन तक पठन करता है तो वह सिद्ध हो जाती है और सिद्ध होने का अर्थ है की भक्त को शनि देव का विशेष स्नेह प्राप्त हुआ है। या यूँ कहें की भक्त जिस कार्य के लिए चालीसा का पठन कर रहा है उस कार्य में उसको सफलता प्राप्त होना। वैसे तो कोई भी चालीसा को चालीस दिन तक नियमनुसार पढ़ने से ही वह सिद्ध हो जाती है। शनि चालीसा में एक-एक श्लोक को अर्थ सहित पुस्तक में समझा रहा हूँ। शनैश्चर के शरीर की कान्ति इंद्रनीलमणि के समान है। इनके सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। शनि गिद्ध पर सवार रहते हैं। ये हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा धारण करते हैं। एक अन्य रूप में शनि देव काले रंग में, एक तलवार, तीर और दो खंजर लिए हुए है और वे अधिकतम एक काले कौए पर सवार होते हैं।
शनि देव का पूजन और पठन हर व्यक्ति नहीं कर सकता है न ही करना चाहिए। लेकिन जब शनि देव अत्याधिक कष्ट दे रहे हो या जातक शनि की ढैय्या या साढ़े साती से गुजर रहा हो तब यह पुस्तक उपयोगी साबि
शनि देव का पूजन और पठन हर व्यक्ति नहीं कर सकता है न ही करना चाहिए। लेकिन जब शनि देव अत्याधिक कष्ट दे रहे हो या जातक शनि की ढैय्या या साढ़े साती से गुजर रहा हो तब यह पुस्तक उपयोगी साबित हो सकती है। वैसे यह बात अटल सत्य है की शनि देव जब किसी को भी दण्डित करते है तो विधि का विधान ही होता है। पर अगर मानव अपने अंदर की कमियों को जानकर शनि की आराधना करता है तो शनि देव उसकी पीड़ा को कम कर देते है और अत्याधिक प्रस्सन हो जाये तो सही मार्ग दिखा कर क्षमा भी कर देते है। ज्योतिषी शनि शांति के लिए अलग अलग तरह के उपाए बताते है पर सही विधि से उपचार न होने पर विपरीत फल की प्राप्ति होती है। इस पुस्तक के माध्यम से सही विधि विधान से पूजन करके शनि का उपचार किया जा सकता है। शनि चालीसा और शनि स्त्रोत्र के माध्यम से उपचार संभव है। इस पुस्तक के माध्यम से आप सही नियम समझ पायंगे की सम्पूर्ण विधि क्या है जिससे सही प्रकार से पूजन आदि किया जा सके। पुस्तक में विशेष यह है की संकल्प हवन दिन समय का ज्ञान मिल जायेगा किस स्त्रोत्र का पाठ कैसे और किस समय पर किया जा सकता है इन सबकी जानकारी प्राप्त हो जाएगी। मैं अपने दस वर्षों के अनुभव से अर्जित किया हुआ कुछ ज्ञान आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास कर रहा हूं, और मुझे पूर्ण आशा है कि श्री शनि संहिता के अध्ययन से आप सबको शनि देव महाराज का आशीर्वाद प्राप्त होगा। शनि देव की साधना करने वाले साधक को शनि देव कभी भी निराश नहीं करते हैं, शनि देव की साधना या उपासना करना कोई सामान्य बात नहीं है।
Through this book, I would like to tell all the seekers the secrets of Shani Dev, which we all need to understand. And by understanding those secrets, how we can know to Shani dev properly. In this book, I have tried to throw light on many mysteries, such as why Shani Dev is called Shani, Shani Dev's color, and why Shani Dev is considered the God of justice. Generally, everyone has read or heard about Shani Dev somewhere. I see that people have less informatio
Through this book, I would like to tell all the seekers the secrets of Shani Dev, which we all need to understand. And by understanding those secrets, how we can know to Shani dev properly. In this book, I have tried to throw light on many mysteries, such as why Shani Dev is called Shani, Shani Dev's color, and why Shani Dev is considered the God of justice. Generally, everyone has read or heard about Shani Dev somewhere. I see that people have less information and more misunderstanding about god Shani dev. At the same time, I also believe that when a man or a seeker understands and knows their secret, he will become close to Shani dev. I will talk about some of the unique mysteries. Why is his name Shani? What is the meaning of Shani? Why is their color black? Why is his symbol black? Why is Mustard oil offered to Shanidev? Why is Shani Dev the God of Kalyug? I will discuss other topics in detail.
Shani Dev is one of the most complex and fascinating deities in the Hindu pantheon. He is known as the Lord of Karma and Justice, and he is feared and revered in equal measure.
In this book, I have compiled 99 thoughts on Shani Dev. These thoughts are based on my own experiences, as well as the teachings of various spiritual masters. I hope that this book will help you to understand Shani Dev better and to develop a closer relationship with him.
<Shani Dev is one of the most complex and fascinating deities in the Hindu pantheon. He is known as the Lord of Karma and Justice, and he is feared and revered in equal measure.
In this book, I have compiled 99 thoughts on Shani Dev. These thoughts are based on my own experiences, as well as the teachings of various spiritual masters. I hope that this book will help you to understand Shani Dev better and to develop a closer relationship with him.
Shani Dev is a teacher. He teaches us about ourselves, the world around us, and the laws of karma. He also teaches us how to overcome our challenges and become better people.
Shani Dev is a healer. He helps us to heal our wounds, both physical and emotional. He also allows us to let go of the past and move on.
श्री शनैश्चरकृतनृसिंहस्तुतिः क्या है ?
शनिदेव द्वारा रचित नरसिम्हा स्तुति एक अद्भुत एवं अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। श्री कृष्ण ने धर्मराज से कहा, "जो कोई भी शनि देव और भगवा
श्री शनैश्चरकृतनृसिंहस्तुतिः क्या है ?
शनिदेव द्वारा रचित नरसिम्हा स्तुति एक अद्भुत एवं अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। श्री कृष्ण ने धर्मराज से कहा, "जो कोई भी शनि देव और भगवान नृसिंह के बीच इस वार्तालाप को भक्ति की प्रार्थना के रूप में सुनेगा उसकी सभी इच्छाएँ पूरी होंगी और वह हमेशा आनन्दित रहेगा।"
पाठ कैसे करें ?
प्रत्येक शनिवार को स्नान आदि से निवृत होकर किसी भी नृसिंह मंदिर अथवा शनि मंदिर में जाकर इसका पाठ काले या पीले आसन पर बैठ कर करना चाहिए एक लौटे में जल लेकर आचमन करें फिर पाठ शुरू करें।
शनि देव का नाम आते ही मनुष्य में स्तब्धता छा जाती है और भय का वातावरण बन जाता है। क्यूंकि शनि देव अनुशासन प्रिय देवता है एवं न्यायधीश के पद पर है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता क
शनि देव का नाम आते ही मनुष्य में स्तब्धता छा जाती है और भय का वातावरण बन जाता है। क्यूंकि शनि देव अनुशासन प्रिय देवता है एवं न्यायधीश के पद पर है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है और उन लोगों के लिए जो न्याय की मांग करते हैं, शनि देव की शरण में जाना बहुत फलदायी होता है। इस किताब के माध्यम से, शनि देव के रहस्य बताऊंगा जो काफी सारे मिथ्य को दूर कर देगा इस पुस्तक में मैं शनि देव के गुप्त रहस्य और अभिशापों के बारे में बात करना चाहूंगा, जो सभी को जानने की आवश्यकता है। और उन रहस्यों को समझते हुए, हम शनि देव की महिमा को समझ सकते हैं। मैंने इस किताब के माध्यम से उन रहस्यों को उजागर करने का प्रयास किया है जिनके बारे में विचार प्राय किया नहीं जाता, जैसे कि शनि भगवान को शनि कहा जाता है लेकिन क्यों ? शनि देव के रंग के बारे में, भगवान को न्याय के देवता क्यों माना जाता है? शनि के कुछ ऐसे रहस्य जो उनको दूसरे देवताओं से अलग बनाते है। आमतौर पर, हर किसी का भगवान शनि देव से कहीं न कहीं परिचय होता है; कई लोगों के पास भगवान शनि के बारे में बहुत सारी गलतफहमियां होती हैं, विशेषकर जिनके पास जानकारी का आभाव है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि शनि देव जब भी किसी को दंड देते हैं तो हमारे कर्मों का हिसाब पूरा करने के लिए ही ऐसा करते हैं।
शनि उपवास महत्व
शनि-ग्रह की शांति या शनि देव को प्रसन्न करने तथा समस्त सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को शनिवार का व्रत करना चाहिए । विधिपूर्वक शनिवार का व्रत करने से
शनि उपवास महत्व
शनि-ग्रह की शांति या शनि देव को प्रसन्न करने तथा समस्त सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को शनिवार का व्रत करना चाहिए । विधिपूर्वक शनिवार का व्रत करने से शनिजनित संपूर्ण दोष, रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं, धन का लाभ होता है । स्वास्थ्य, सुख तथा बुद्धि की वृद्धि होती है । विश्व के समस्त उद्योग, व्यवसाय, कल-कारखाने, धातु उद्योग, लौह वस्तु, समस्त तेल, काले रंग की वस्तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृत्यु, पुलिस भय, कारागार, रोग भय, गुर्दे का रोग, जुआ, सट्टा, लॉटरी, चोर भय तथा क्रूर कार्यों का स्वामी शनिदेव है आप अगर देखे तो तेल आदि के कुँए, स्टील, लोह आदि पर सबसे ज्यादा धन है। शनि देव कलयुग के देव है शीघ्र ही फल देने वाले है चाहे वो फल अच्छा हो या बुरा। शनि देव उपवास वैसे तो कोई भी कर सकता है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है की व्रती नशा या नशीले पदार्थों का सेवन न करें। शनिजनित कष्ट निवारण के लिए शनिवार का व्रत करना परम लाभप्रद है । शनिवार के व्रत को प्रत्येक स्त्री-पुरुष कर सकता है । वैसे यह व्रत किसी भी शनिवार से आरंभ किया जा सकता है । श्रावण मास के श्रेष्ठ शनिवार से व्रत प्रारंभ किया जाए तो विशेष लाभप्रद रहता है । उपवास करने वाला मनुष्य नदी आदि के जल में स्नान कर, ऋषि-पितृ अर्पण करे, सुंदर कलश जल से भरकर लावे, शमी अथवा पीपल के पेड़ के नीचे सुंदर वेदी बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह निर्मित शनि की प्रतिमा को पंचामृत में स्नान कराकर काले चावलों से बनाए हुए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करे । काले रंग के गंध, पुष्प, अष्टांग, धूप, फूल, उत्तम प्रकार के नैवेद्य आदि से पूजन करे ।
किसी भी देवता का मंदिर निर्माण कार्य बहुत ही महान कार्य है और अगर वो देवता शनि देव हो तो और भी कठिन एवं महान कार्य हो जाता है। जैसा की प्रदत्त है की शनि देव न्याय के देवता
किसी भी देवता का मंदिर निर्माण कार्य बहुत ही महान कार्य है और अगर वो देवता शनि देव हो तो और भी कठिन एवं महान कार्य हो जाता है। जैसा की प्रदत्त है की शनि देव न्याय के देवता होने के साथ साथ ही धर्म रक्षक भी है और सदैव अपने भक्तों के पालनहार है, उनके हितकारी है। शनि देव प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जानकारी का काफी आभाव है और बहुत ही सूक्ष्म पुस्तक या जानकारी लोगो के बीच में है। लेकिन इस पुस्तक को मैंने अपने वर्षों के शनि से संबधित जानकारी को खोज को इस पुस्तक में समाहित किया है। मैंने काफी जगह शनि मंदिरों में देखा है की शनि देव की प्रतिमा की दिशा ठीक नहीं है या फिर प्रतिष्ठा शनि देव के विधान के अनुसार नहीं की गयी है जिसके कारण से शनि देव का आशीर्वाद पूर्णरूप से प्राप्त नहीं होता है। शनि देव के मंदिर निर्माण आज से ही नहीं वर्षों से ही प्रथा है। वैसे तो शनि देव कालरूप है लेकिन वह अपने भक्तों को सदैव सत्य मार्ग पर चलने का आदेश करते है। मुझे पूर्ण रूप से आशा है की सभी इस पुस्तक का लाभ लेंगे विधि विधान से शनि देव की प्राण प्रतिष्ठा कर पायंगे। शनि मंदिर निर्माण एवं उसके बाद प्रतिष्ठा करने हेतु जो नियम है वह समझने जरुरी है क्यूंकि इतिहास भी यह बात जानता है की शनि देव क्रोधी एवं दंड के भी देवता है। इसकी दृस्टि मात्र ही सब लोको में भय व्याप्त कर देती है। इस पुस्तक में मैंने शनि देव के अलग अलग वाहन एवं उनकी जानकारी भी दी है जो अन्य किसी और पुस्तक में नहीं है। वैसे तो मैंने पूरा प्रयास किया है की किसी प्रकार की त्रुटि न हो लेकिन अगर फिर भी ऐसा हुआ तो मैं सबसे क्षमा चाहूंगा।
The purpose of this book is how you can do good parenting. As everybody knows, today's time is changing at a fast speed. And now everything is going challenging for everyone, in relationship-related matters. One of these is the relationship between parents and children. When someone becomes a parent, they think many things in their minds and feel too happy. They feel anxious about their child as well.
But now the question is that this worry required? S
The purpose of this book is how you can do good parenting. As everybody knows, today's time is changing at a fast speed. And now everything is going challenging for everyone, in relationship-related matters. One of these is the relationship between parents and children. When someone becomes a parent, they think many things in their minds and feel too happy. They feel anxious about their child as well.
But now the question is that this worry required? So, I think yes! Because children are the mirror of parents' karma. As per the Puranas and Shastras, children are our ancestors or our past birth connection. Many things stress parents and children in between life, like misunderstanding, generation gap, ego, etc. However, this book depends on my personal experience and incidents around me. So, I'll endeavor to help all parents ask for a promising career and be apprehensive about their child's life. Maybe this book hurts your feelings because toxic parents never understand their faults. As an astrologer, I witnessed many family cases that parents are unhappy with their children. Children are also dissatisfied with their parents.
So, I think somewhere is something problematic between children and parents. What do you think? Are parents like a god? So, it is true because the creator of anything is God for their creation, but the second question is that humans cannot become God because humans are the idol of mistakes.
महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र सभी अल्पायु, अकाल मृत्यु से बचने का सरल मार्ग है। पार्वती माता ने जनकल्याण हेतु देवादिदेव महादेव से प्रार्थना की इस पर प्रस्सन होकर भगवान् शिव जी न
महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र सभी अल्पायु, अकाल मृत्यु से बचने का सरल मार्ग है। पार्वती माता ने जनकल्याण हेतु देवादिदेव महादेव से प्रार्थना की इस पर प्रस्सन होकर भगवान् शिव जी ने महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र बताया था। आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के इस चमत्कारी स्त्रोतम को भली भांति प्रकार से समझ पाएं । शनि एक संस्कृत शब्द है। ‘शनये कमति सः’ जिसका अर्थ है ‘अत्यन्त धीमा’। जिस कारण शनि की गति बहुत धीमी है। शनि की गति भले ही धीमी हो पर फल देने में सबसे तीव्र है। शनि देव सूर्य देव के पुत्र होने के कारण बहुत ही शक्तिशाली हैं, शनि देव का तेज़ और शक्ति देवताओं में सर्वमान्य है। शनि देव अत्याधिक क्रोधी एवं दयालु हैं। जिस कारण मानवों और देवताओ में शनि देव का डर व्याप्त है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि शनि देव पाप करने वालों को और अन्याय करने वालों को अपनी दशा या अंतर दशा में दण्डित करते हैं। शनि देव ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह प्रकृति के नियम को बनाए रखें और प्रकृति का संतुलन बना रहे।
शनि चालीसा का अर्थ है भगवान् शनि देव का वर्णन करना उस वर्णन से शनि प्रसन्न होते है । यहाँ पर चालीसा का अर्थ है की अगर नियम अनुसार चालीस दिनों तक नियम अनुसार शनि चालीसा का पाठ किया
शनि चालीसा का अर्थ है भगवान् शनि देव का वर्णन करना उस वर्णन से शनि प्रसन्न होते है । यहाँ पर चालीसा का अर्थ है की अगर नियम अनुसार चालीस दिनों तक नियम अनुसार शनि चालीसा का पाठ किया जाये तो यह शनि चालीसा सिद्ध हो जाती है। जब कोई भी भक्त शनि चालीसा का नियम से चालीस दिन तक पठन करता है तो वह सिद्ध हो जाती है और सिद्ध होने का अर्थ है की भक्त को शनि देव का विशेष स्नेह प्राप्त हुआ है। या यूँ कहें की भक्त जिस कार्य के लिए चालीसा का पठन कर रहा है उस कार्य में उसको सफलता प्राप्त होना। वैसे तो कोई भी चालीसा को चालीस दिन तक नियमनुसार पढ़ने से ही वह सिद्ध हो जाती है। शनि चालीसा में एक-एक श्लोक को अर्थ सहित पुस्तक में समझा रहा हूँ। शनैश्चर के शरीर की कान्ति इंद्रनीलमणि के समान है। इनके सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। शनि गिद्ध पर सवार रहते हैं। ये हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा धारण करते हैं। एक अन्य रूप में शनि देव काले रंग में, एक तलवार, तीर और दो खंजर लिए हुए है और वे अधिकतम एक काले कौए पर सवार होते हैं।
This book is based on nine planets of Astrology known as SUN, MOON, MERCURY, VENUS, MARS, SATURN, JUPITER, RAHU, and KETU know that these planets will decide every horoscope of native (Person who is showing birth chart). In this book, we will read what the nine planets and the property of every planet are and how they work in Vedic astrology. In this book, you can understand all information about the nine planets which are the backbone of Vedic Astrology. 
This book is based on nine planets of Astrology known as SUN, MOON, MERCURY, VENUS, MARS, SATURN, JUPITER, RAHU, and KETU know that these planets will decide every horoscope of native (Person who is showing birth chart). In this book, we will read what the nine planets and the property of every planet are and how they work in Vedic astrology. In this book, you can understand all information about the nine planets which are the backbone of Vedic Astrology.
We will learn here properties of planets and their characteristics.
The planets in Hindu astrology are known as the Navagraha (literally "nine planets"), with two shadow bodies Rahu and Ketu. In Chinese astrology, the planets are associated with the life forces of Yin & Yang and the five elements, which play an essential role in the Chinese form of geomancy known as Feng Shui. Astrologers differ on the signs associated with each planet's exaltation. In modern Astrology, many more planets are available to find predictions. The new planet's name is Uranus Pluto, Neptune.
Lord Shani Dev, known for his unequaled significance in Hindu Mythology. Lord Shani Dev is called the God of Justice, and for those who need justice, it is very fruitful to go under the protection of Shani Dev. However, due to the ignorance of the incredible powers of the Lord, lot of confusion among the seekers. Many people have a lot of misconceptions about the Lord. Through this book, I would like to share my knowledge and research done so far about the sec
Lord Shani Dev, known for his unequaled significance in Hindu Mythology. Lord Shani Dev is called the God of Justice, and for those who need justice, it is very fruitful to go under the protection of Shani Dev. However, due to the ignorance of the incredible powers of the Lord, lot of confusion among the seekers. Many people have a lot of misconceptions about the Lord. Through this book, I would like to share my knowledge and research done so far about the secrets of Shani Dev, which we all need to know. And by understanding those secrets, we can get to know Shani dev better. Through this book, I have tried to light the unspoken mysteries on some of the facts like why the Lord is called Shani? About Shani Dev's color, why is the Lord considered the GodGod justice? Etc.
शनि संहिता को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के विषय में भली प्रकार समझ पाएं और उनके बारे में समझ कर उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। शनि एक
शनि संहिता को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के विषय में भली प्रकार समझ पाएं और उनके बारे में समझ कर उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। शनि एक संस्कृत शब्द है। ‘शनये कमति सः’ जिसका अर्थ है ‘अत्यन्त धीमा’। जिस कारण शनि की गति बहुत धीमी है। शनि की गति भले ही धीमी हो पर शनि देव को बहुत ही सौम्य देव माना जाता है। शनि देव सूर्य देव के पुत्र होने के कारण बहुत ही शक्तिशाली हैं, शनि देव का तेज़ और शक्ति देवताओं में सर्वमान्य है। शनि देव अत्यधिक क्रोधी एवं दयालु हैं। जिस कारण मानवों और देवताओ में शनि देव का डर व्याप्त है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि शनि देव पाप करने वालों को और अन्याय करने वालों को अपनी दशा या अंतर दशा में दण्डित करते हैं। शनि देव ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह प्रकृति के नियम को बनाए रखें और प्रकृति का संतुलन बना रहे। एक प्रकार से शनि देव संतुलन बनाने का कार्य करते हैं, ताकि अन्याय को समाप्त कर जीवों और देवताओं को न्याय दिला सकें। शनि देव के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं। जिस कारण शनि देव को शुभ नहीं माना जाता है जो कि नितांत उचित नहीं है। शनि देव पाप और अन्याय करने वालों को भिखारी तक बना सकते है। ताकि बुरा कर्म करने से पूर्व जीवों में भय हो और किसी पर अन्याय न हो सकें। जो कोई भी पाप के मार्ग पर चलता है भगवान शनि देव उसको कहीं भी दण्ड दें सकते हैं, चाहे वह भू-लोक हो या पाताल हो। कहा जाता है कि शनि देव के गुरु देव आदिदेव महादेव हैं। महादेव ने ही शनि देव को न्यायाधीश बनाया। इसलिए शनि देव को सर्वोच्च न्यायाधीश माना जाता हैं। शनि देव का वर्ण नील हैं, और उन्हें कलयुग का देवता माना जाता है।
This book is written to give information about the Shani dev Yantra. But before knowing the Shani Yantra it is necessary to know about the Yantra, I mean simple yantra.
Yantra (यन्त्र) (Sanskrit) (literally "Yantra, contraption" is a mystical diagram, mainly from the Tantric traditions of the Indian religions. They are used for the worship of deities in temples or at home; as an aid in meditation; used for the benefits given by their
This book is written to give information about the Shani dev Yantra. But before knowing the Shani Yantra it is necessary to know about the Yantra, I mean simple yantra.
Yantra (यन्त्र) (Sanskrit) (literally "Yantra, contraption" is a mystical diagram, mainly from the Tantric traditions of the Indian religions. They are used for the worship of deities in temples or at home; as an aid in meditation; used for the benefits given by their supposed occult powers based on Hindu astrology and tantric texts. They are also used for adornment of temple floors, due mainly to their aesthetic and symmetric qualities. Specific yantras are traditionally associated with specific deities. In the nine Planets, every planet have special yantra, buy Shani yantra is useful in every manner. In this book, you will read how we can use the Shani yantra and how much this yantra is effective and useful in Tantrik Tradition. I ll discuss also that yantra is good to wear or should worship of yantra in the home temple. Occult yantras are used as good luck charms, to ward off evil, as preventative medicine, in exorcism, etc., by using their magical power. When used as a talisman, the yantra is seen to represent a deity who can be called on at will by the user. They are traditionally consecrated and energized by a priest, including the use of mantras which are closely associated to the specific deity and yantra.
शनि देव का पूजन और पठन हर व्यक्ति नहीं कर सकता है न ही करना चाहिए। लेकिन जब शनि देव अत्याधिक कष्ट दे रहे हो या जातक शनि की ढैय्या या साढ़े साती से गुजर रहा हो तब यह पुस्तक उपयोगी साबि
शनि देव का पूजन और पठन हर व्यक्ति नहीं कर सकता है न ही करना चाहिए। लेकिन जब शनि देव अत्याधिक कष्ट दे रहे हो या जातक शनि की ढैय्या या साढ़े साती से गुजर रहा हो तब यह पुस्तक उपयोगी साबित हो सकती है। वैसे यह बात अटल सत्य है की शनि देव जब किसी को भी दण्डित करते है तो विधि का विधान ही होता है। पर अगर मानव अपने अंदर की कमियों को जानकर शनि की आराधना करता है तो शनि देव उसकी पीड़ा को कम कर देते है और अत्याधिक प्रस्सन हो जाये तो सही मार्ग दिखा कर क्षमा भी कर देते है। ज्योतिषी शनि शांति के लिए अलग अलग तरह के उपाए बताते है पर सही विधि से उपचार न होने पर विपरीत फल की प्राप्ति होती है। इस पुस्तक के माध्यम से सही विधि विधान से पूजन करके शनि का उपचार किया जा सकता है। शनि चालीसा और शनि स्त्रोत्र के माध्यम से उपचार संभव है। इस पुस्तक के माध्यम से आप सही नियम समझ पायंगे की सम्पूर्ण विधि क्या है जिससे सही प्रकार से पूजन आदि किया जा सके। पुस्तक में विशेष यह है की संकल्प हवन दिन समय का ज्ञान मिल जायेगा किस स्त्रोत्र का पाठ कैसे और किस समय पर किया जा सकता है इन सबकी जानकारी प्राप्त हो जाएगी। मैं अपने दस वर्षों के अनुभव से अर्जित किया हुआ कुछ ज्ञान आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास कर रहा हूं, और मुझे पूर्ण आशा है कि श्री शनि संहिता के अध्ययन से आप सबको शनि देव महाराज का आशीर्वाद प्राप्त होगा। शनि देव की साधना करने वाले साधक को शनि देव कभी भी निराश नहीं करते हैं, शनि देव की साधना या उपासना करना कोई सामान्य बात नहीं है।
Through this book, I would like to tell all the seekers the secrets of Shani Dev, which we all need to understand. And by understanding those secrets, how we can know to Shani dev properly. In this book, I have tried to throw light on many mysteries, such as why Shani Dev is called Shani, Shani Dev's color, and why Shani Dev is considered the God of justice. Generally, everyone has read or heard about Shani Dev somewhere. I see that people have less informatio
Through this book, I would like to tell all the seekers the secrets of Shani Dev, which we all need to understand. And by understanding those secrets, how we can know to Shani dev properly. In this book, I have tried to throw light on many mysteries, such as why Shani Dev is called Shani, Shani Dev's color, and why Shani Dev is considered the God of justice. Generally, everyone has read or heard about Shani Dev somewhere. I see that people have less information and more misunderstanding about god Shani dev. At the same time, I also believe that when a man or a seeker understands and knows their secret, he will become close to Shani dev. I will talk about some of the unique mysteries. Why is his name Shani? What is the meaning of Shani? Why is their color black? Why is his symbol black? Why is Mustard oil offered to Shanidev? Why is Shani Dev the God of Kalyug? I will discuss other topics in detail.
मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी स्वर्ग या नर्क की कल्पना नहीं की थी मैं हमेशा यही मानता आया था की स्वर्ग और नर्क धरती पर ही होते है कर्म के अनुसार ही फल मिलता है अतार्थ स्वर्ग या नर्
मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी स्वर्ग या नर्क की कल्पना नहीं की थी मैं हमेशा यही मानता आया था की स्वर्ग और नर्क धरती पर ही होते है कर्म के अनुसार ही फल मिलता है अतार्थ स्वर्ग या नर्क मिलता है, जैसे कोई मनुष्य अच्छे कर्म करता है तो वह आनंद को भोगता है और वही उसके लिए स्वर्ग है और यदि कोई व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो दंड पाता है और वही उसके लिए नर्क बन जाता है। पर मुझे ऐसा लगा की यह जो धरती पर स्वर्ग और नर्क की मैं कल्पना करता था वह मात्र देह से ही सम्बंधित है। मैं कह सकता हूँ की देह को कष्ट केवल मृत्युलोक मैं ही हो सकता है क्यूंकि देह केवल एक घर है जो आत्मा को संजो कर रखता है और पृथ्वीलोक पर ही यह देह पांच तत्व मैं विलीन हो कर यहीं रह जाती है आगे का सफर तो केवल और केवल आत्मा को ही तय करना होता है। इस पुस्तक को मैंने स्वर्ग की यात्रा इसलिए नहीं दिया की मैं स्वर्ग में गया हूँ या उसको खुद जाकर देख कर आया हूँ | अपने गुरु के आशीर्वाद से मुझे इसका अवसर प्राप्त हुआ हालांकि मेरे मन मै कभी भी स्वर्ग देखने की इच्छा नहीं हुई|
शनि विधान को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के पूजन विधान को भली भांति प्रकार से समझ पाएं । शनि एक संस्कृत शब्द है। ‘शनये कमति सः’ जिसका अर्थ है ‘अ
शनि विधान को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के पूजन विधान को भली भांति प्रकार से समझ पाएं । शनि एक संस्कृत शब्द है। ‘शनये कमति सः’ जिसका अर्थ है ‘अत्यन्त धीमा’। जिस कारण शनि की गति बहुत धीमी है। शनि की गति भले ही धीमी हो पर फल देने में सबसे तीव्र है। शनि देव सूर्य देव के पुत्र होने के कारण बहुत ही शक्तिशाली हैं, शनि देव का तेज़ और शक्ति देवताओं में सर्वमान्य है। शनि देव अत्याधिक क्रोधी एवं दयालु हैं। जिस कारण मानवों और देवताओ में शनि देव का डर व्याप्त है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि शनि देव पाप करने वालों को और अन्याय करने वालों को अपनी दशा या अंतर दशा में दण्डित करते हैं। शनि देव ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह प्रकृति के नियम को बनाए रखें और प्रकृति का संतुलन बना रहे। एक प्रकार से शनि देव संतुलन बनाने का कार्य करते हैं, ताकि अन्याय को समाप्त कर जीवों को न्याय दिला सकें। शनि देव के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं। जिस कारण शनि देव को शुभ नहीं माना जाता है जो कि नितांत उचित नहीं है। शनि देव पाप और अन्याय करने वालों को भिखारी तक बना सकते है, ताकि बुरा कर्म करने से पूर्व जीवों में भय हो और किसी पर अन्याय न हो सकें। जो कोई भी पाप के मार्ग पर चलता है भगवान शनि देव उसको कहीं भी दण्ड दे सकते हैं, चाहे वह भू-लोक हो या पाताल हो, कहा जाता है कि शनि देव के गुरु देव आदिदेव महादेव हैं। महादेव ने ही शनि देव को न्यायाधीश बनाया। इसलिए शनि देव को सर्वोच्च न्यायाधीश माना जाता हैं।
Pt. Roop Chand Joshi invented Lal Kitab in the 19th Century. The first book published in 1939 is preserved in Lahore Museum. Lal Kitab is a scarce book in the field of Astrology. Lal Kitab is a simple way to predict any person's horoscope or a thing. The Lal Kitab is based on the nine planets. The name is Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus, Saturn, and Rahu & Ketu. Lal Kitab is easy to use and can predict without much more calculations.
I am writing
Pt. Roop Chand Joshi invented Lal Kitab in the 19th Century. The first book published in 1939 is preserved in Lahore Museum. Lal Kitab is a scarce book in the field of Astrology. Lal Kitab is a simple way to predict any person's horoscope or a thing. The Lal Kitab is based on the nine planets. The name is Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus, Saturn, and Rahu & Ketu. Lal Kitab is easy to use and can predict without much more calculations.
I am writing this book as per my practice on Lal Kitab. In my practice, I saw that Lal Kitab predicts by property of Planets who gives different-different effects in houses. Lal Kitab Dose does not consider Sign wise predictions. In houses of the chart, the zodiac sign will be considered only Aries in accendent, whether your accendent is whatever. For example, suppose a person is born in Sagittarius Accendent. In that case, his birth chart will be written in Sagittarius first, i.e., Accendent, but it will not be so in the Lal Kitab. According to Lal Kitab, the first house in the horoscope means that Aries will be written in Accendent/Lagna, and Sagittarius will be marked in the same order in the fifth house. If we discuss the remedy portion, Lal Kitab does not recommend any Gemstone, Pujan, Jaap, etc. It will suggest only Totke/Upaye to the native.
मानव को अपने जीवन में जिस चीज़ कि सबसे ज्यादा जरुरत महसूस हुई वह है सुख, क्यूँकि मनुष्य को सुख प्राप्त हो जाये तो वह संतुष्ट हो जाता है, पर ऐसा होना संभव नहीं है। सृष्टि कि संरचना के उ
मानव को अपने जीवन में जिस चीज़ कि सबसे ज्यादा जरुरत महसूस हुई वह है सुख, क्यूँकि मनुष्य को सुख प्राप्त हो जाये तो वह संतुष्ट हो जाता है, पर ऐसा होना संभव नहीं है। सृष्टि कि संरचना के उपरांत कुछ न्यूनता जरूर रह गयी थी, लेकिन भगवान शिव ने इन सब न्यूनता को ध्यान में रखते हुए तंत्र-मंत्र-यन्त्र का निर्माण किया, जिससे मानव अपने जीवन कि न्यूनता को समाप्त कर सके। इन्ही में से एक महत्वपूर्ण विद्या है "यन्त्र विद्या" यन्त्र अपने आप में चमत्कारी है, कठिन से कठिन कार्य को भी सम्पन्न करने कि शक्ति यंत्रो में है। यन्त्र तत्वम मैंने इस पुस्तक को इसलिए नाम दिया है क्यूँकि यन्त्र शास्त्र अपने आप में उच्च कोटि का है, और एक असीमित सागर के सामान है, जब तक अंको का अंत नहीं किया जा सकता तब तक यंत्रो के निर्माण का अंत भी नहीं किया जा सकता है। यंत्रो में साक्षात् ईश्वर का निवास होता है, क्यूँकि यंत्रो में अंक, बीज, और पांच तत्वों का समागम होता है, जिसको लिखने हेतु जो विशेष प्रकार कि स्याही और कलम का प्रयोग होता है, वो यन्त्र को शक्ति प्रदान करती है, या यूँ कहे कि देवताओं को स्थान देती है। यन्त्र की आकृति और उनमें छुपे बीज जैसे ह्रीं, श्रीं, लं, रं, क्रीं आदि ही यंत्रो को एक दूसरे से भिन्न करते है। यंत्रो को कुछ विशेष मुहूर्त, नक्षत्र, होरा आदि में ही लिखा जाता है। यंत्रो का प्रयोग कठिन से कठिन कार्यो को सफल कर देता है। यंत्रो से सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है, यंत्रो देवी देवता की सिद्धि प्राप्त करने में सहायक होते है, यंत्र भूत प्रेत नाशक भी होते है। खोये व्यक्ति या वास्तु को वापस पाना, विशेष कार्य सिद्धि, आदि यंत्रो के माध्यम से संभव है।
Security of Valley (J&K Border)In between, training camps used to run during all this. I always got chastisement from my officers because of my imprudence. And always Sukha supported me to reduce my chastisement. One day from the headquarter an order comes that our company will move to the J Read More...
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