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Shanidev Upwas Vidhan / शनिदेव उपवास विधान सम्पूर्ण उपवास विधान

Author Name: Guru Gaurav Arya | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

शनि उपवास महत्व
शनि-ग्रह की शांति या शनि देव को प्रसन्न करने तथा समस्त सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को शनिवार का व्रत करना चाहिए । विधिपूर्वक शनिवार का व्रत करने से शनिजनित संपूर्ण दोष, रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं, धन का लाभ होता है । स्वास्थ्य, सुख तथा बुद्धि की वृद्धि होती है । विश्‍व के समस्त उद्योग, व्यवसाय, कल-कारखाने, धातु उद्योग, लौह वस्तु, समस्त तेल, काले रंग की वस्तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृत्यु, पुलिस भय, कारागार, रोग भय, गुर्दे का रोग, जुआ, सट्टा, लॉटरी, चोर भय तथा क्रूर कार्यों का स्वामी शनिदेव है आप अगर देखे तो तेल आदि के कुँए, स्टील, लोह आदि पर सबसे ज्यादा धन है।  शनि देव कलयुग के देव है शीघ्र  ही फल देने वाले है चाहे वो फल अच्छा हो या बुरा। शनि देव उपवास वैसे तो कोई भी कर सकता  है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है की व्रती नशा या नशीले पदार्थों का सेवन न करें। शनिजनित कष्ट निवारण के लिए शनिवार का व्रत करना परम लाभप्रद है । शनिवार के व्रत को प्रत्येक स्त्री-पुरुष कर सकता है । वैसे यह व्रत किसी भी शनिवार से आरंभ किया जा सकता है । श्रावण मास के श्रेष्ठ शनिवार से व्रत प्रारंभ किया जाए तो विशेष लाभप्रद रहता है । उपवास करने वाला  मनुष्य नदी आदि के जल में स्नान कर, ऋषि-पितृ अर्पण करे, सुंदर कलश जल से भरकर लावे, शमी अथवा पीपल के पेड़ के नीचे सुंदर वेदी बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह निर्मित शनि की प्रतिमा को पंचामृत में स्नान कराकर काले चावलों से बनाए हुए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करे । काले रंग के गंध, पुष्प, अष्टांग, धूप, फूल, उत्तम प्रकार के नैवेद्य आदि से पूजन करे ।

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गुरु गौरव आर्य

गुरु गौरव जी महाराज शनि देव के परम उपासकों में से एक है। गुरु जी द्वारा लिखित अत्याधिक पुस्तक शनि देव के ऊपर है। श्री शनि संहिता , शनिदेवप्रतिष्ठाविधान: इनमे से प्रमुख है। 

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