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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘सात समुंदर पार’ डॉ. आरती ‘लोकेश’ की 23वीं पुस्तक है। इसके अतिरिक्त उनके 4 उपन्यास, 4 कहानी-संग्रह, 4 काव्य-संग्रह, 4 गद्य-संकलन तथा 6 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हैं।
भारत से अमेरिका, सात समुन्दर पार कहलाता आया है। ‘सात समुन्दर पार’ पुस्तक अमेरिका के 4 बड़े शहरों के दर्शनीय स्थलों की सम्पूर्ण जानकारी देती है। इसमें नियाग्रा, वाशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क तथा बोस्टन में पर्यटन का सम्पूर्ण विवरण निहित है।
कहते हैं कि यदि भारत में पृथ्वी को गहरा खोदना शुरु करो तो यह सुरंग अमेरिका में खुलेगी। दिन-रात के समयांतर पर बसे देश अमेरिका के नीलाभ गगन और सिंधु-हरित सागर के बीच बसने वाली भूमि पर बिखरी प्रकृति-मुक्ताओं और मानव-निर्मितियों का अवलोकन कर इस पुस्तक की सृष्टि की गई है। अनुभव, अहसास और बोध के शब्दों से युक्त इसमें पूर्वी हिस्से के प्रमुख शहरों के चित्रात्मक वृत्तांत दर्ज हैं।
पुस्तक बताती है कि अमेरिका में सभी प्रकार के पर्यटकों का मन बहलाने के लिए पर्याप्त सामग्री है। इसी कारण अमेरिका घूमने सारे विश्व के घुमक्कड़ी-प्रेमी आना चाहते हैं। यहाँ के स्मारक अपने भूत को बाँचते हैं, वर्तमान को सूचित करते हैं व भविष्य को इंगित करते हैं। यहाँ आमोद-प्रमोद का प्रबंध है, संताप से निकल आगे बढ़ने का संदेश भी है और वेदना के जाल को चीरते हुए नए उत्साह-ऊर्जा-ऊष्मा से नई किरण का स्वागत भी है।
डॉ. आरती 'लोकेश'
डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने अंग्रेज़ी साहित्य मास्टर्स में कॉलेज में द्वितीय स्थान तथा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि ली। तीन दशकों से शिक्षाविद, वर्तमान में दुबई में कार्यरत रहते हुए साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं।
पच्चीस वर्षों से दुबई में बसी प्रवासी लेखिका डॉ. आरती ‘लोकेश’ की 23 पुस्तकें प्रकाशित हैं। चार उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’, ‘निर्जल सरसिज’, 'ऋतम्भरा के सौ द्वीप'; चार काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’, ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’, 'षड्गंधा'; चार कहानी संग्रह ‘साँच की आँच’, ‘कुहासे के तुहिन’, ‘दूर्वादल’ व ‘फ़िबोनाची वितान; चार कथेतर गद्य-संग्रह ‘कथ्य अकथ्य’, ‘अश्रुत श्रव्य’, ‘झरोखे’; शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य और सामाजिक चेतना’; छ: संपादित-संकलित: ‘सोच इमाराती चश्मे से’, ‘होनहार बिरवान’, ‘डॉ. अशोक कुमार मंगलेश : काव्य एवं साहित्य चिंतन’, ‘अनन्य कृति यू.ए.ई.’, ‘यू.ए.ई. की चयनित रचनाएँ – स्वर्ण सचान काव्यजग’ तथा ‘अनन्य संचय यू.ए.ई.’।
उनकी रचनाएँ 100 से अधिक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं तथा 50 से अधिक साझा संग्रहों में प्रकाशित हैं। इनके साहित्य पर पंजाब, उड़ीसा व हरियाणा के विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया जा रहा है व यूक्रेन में कहानियों पर शोध हो चुका है। 'अनन्य यू.ए.ई.' पत्रिका की मुख्य संपादक होने के साथ-साथ वे ‘श्री रामचरित भवन ह्यूस्टन’ की सह-संपादिका तथा ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्न्स’ की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संपादक हैं। प्रणाम पर्यटन पत्रिका की विशेष संवाददाता यूएई हैं। टैगोर विश्वविद्यालय तथा ‘विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस’ से सम्बद्ध हैं।
उन्हें मॉरीशस व भारत सरकार द्वारा 'आप्रवासी हिंदी साहित्य सृजन सम्मान', ‘प्रवासी महाकवि प्रो. हरिशंकर ‘आदेश’ स्मृति साहित्य सम्मान’, ‘रंग राची सम्मान’, ‘शिक्षा रत्न’ सम्मान, ‘हिंदी शिक्षक सम्मान’ 'शब्द शिल्पी भूषण सम्मान', 'प्रज्ञा सम्मान', ‘निर्मला स्मृति हिन्दी साहित्य रत्न सम्माrन’, ‘प्रवासी भारतीय समरस श्री साहित्य सम्मान’; वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स लंडन, भारतीय कौंसलावास दुबई, अंतर्राष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच, वैश्विक हिंदी संस्थान ह्यूस्टन, यू.एस.ए., साहित्य अर्पण मंच दुबई द्वारा प्रशस्ति-पत्र मिला है। ‘शुभ संकल्प एवं हुनर फ़ोक्स एकेडेमी’, ‘हिंदी ग्लोबल फाउ
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