You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकब तक रहें कुँवारे ऐसे युवक-युवतियों की कहानी है जिनकी किसी कारणवश यथासमय शादी नहीं हो पाती है। एकाकी जीवन बिताने के लिए बाध्य ऐसे युवक ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं इसलिए ब्रह्मचारी कहलाते हैं, जब तक कि शादी नहीं हो जाती है। कभी ग्रहों की दशा ऐसी होती है कि वर्ष पर वर्ष बीतते चले जाते हैं, लाख हाथ-पैर मारने के बाद भी उनकी शादी नहीं हो पाती है। ऐसे लोगों को हम कठिन ब्रह्मचारी कहते हैं।
साधारण ब्रह्मचारी की शादी होने की बहुत संभावनाएँ रहती हैं। कठिन ब्रह्मचारी की एकदम जीरो। फिर भी वह उम्मीद नहीं छोड़ता। क्या पता कभी कोई भूली-भटकी उसका दरवाजा खटखटाए। यदि कभी कोई लड़की उसका दरवाजा न खटखटाए तो वह कठिन ब्रह्मचारी से जटिल ब्रह्मचारी बन जाता है। पात्रों से मिल कर आपको पता लगेगा कि कौन-सा युवक ब्रह्मचर्य की किस श्रेणी में है और कौन-सी युवती विवाहोन्मुख है।
रसीले संवाद, चुटीले व्यंग्य और शेर-ओ-शायरी से सुसज्जित है यह नाटक कब तक रहें कुँवारे।
मथुरा कलौनी
मथुरा कलौनी का जन्म 20 जनवरी 1947 को पिथौरागढ़ में तथा शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में हुई थी। उनकी पहाड़ में बीते बचपन की स्मृतियाँ इतनी बलवती हैं कि वहाँ की अनुभूतियाँ यदा-कदा उनकी रचनाओं में झाँकने लगती हैं। गंभीर से गंभीर विषय को हास्य-व्यंग्य का पुट देकर चुलबुले अंदाज में प्रस्तुत करने में वे सिद्धहस्त हैं। प्रेम, शृंगार, हास्य, व्यंग्य आदि सभी रसों के इंद्रधनुषी रंग उनकी अद्भुत वर्णनात्मक शैली में मुक्त तैरते रहते हैं। उनकी रचनाएँ बहुत पठनीय होती हैं। आभास ही नहीं होता कि भावनात्मक अनुभूतियों के आवेगों से गुजरते हुए कब कथानक के शीर्ष पर पहुँच गये।
मथुरा कलौनी अपनी कृतियों में पात्रों के अनुपम चित्रण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने साहित्य की लगभग समस्त विधाओं में अपनी कलम चलाई है जिनमें उपन्यास, कहानी और नाटक प्रमुख हैं। उनकी रचनाओं में अप्रत्यक्ष, गुदगुदाने वाले हास्य की प्रधानता है। मानव संबंधों की विविधता का कदाचित ही कोई पक्ष उनकी लेखनी से अछूता रहा हो। प्रियदर्शी अशोक में एक कालजयी ऐतिहासिक विभूति का द्वंद्व हो, या कब होगी भेंट में अछूते प्रेम के भावनात्मक प्रसंग हों, धतूरे के बीज में काले-डरावने चरित्र हों या विषकन्या में अपराध जगत के गुमनाम रहस्यों का रोमांच हो, वहाँ से वापसी में स्मृति-लोप के कगार से वापसी की यात्रा हो या कौन हो तुम बृहन्नला में किन्नर वर्ग की अबूझ अनकही वेदना का चित्रण हो, सब इनकी लेखनी के चित्रफलक(कैनवास) में समाहित हैं।
मथुरा कलौनी ने चार दशक पहले साहित्यिक यात्रा आरंभ की थी। 1988 में बेंगलूरु में कलायन नाट्य संस्था की स्थापना की। 1999 में इन्टरनेट में कलायन पत्रिका (www.kalayan.org) का प्रकाशन आरंभ किया। आपकी लगभग डेढ़ सौ कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। पिछले 36 सालों में आप इक्कीस नाटक और दर्जन से अधिक लघुनाटकों का लेखन और मंचन कर चुके हैं। आपके बारह नाटक, चार लघु-उपन्यास और एक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। दुबई में दो हिन्दी नाटकों के मंचन के साथ कंबोडिया, बीजिंग, असम-मेघालय, राजस्थान और बाली में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलनों में नाट्यपाठ की प्रस्तुतियाँ खासी चर्चित रहीं।
संप्रति आइटीसी लिमिटेड में रिसर्च मैनेजर के पद से सेवानिवृति के उपरांत बेंगलूरु में नाटकों के लेखन और निर्देशन में सन्नद्ध हैं तथा कलायन नाट्य संस्था के संचालन व कलायन पत्रिका के संपादन और संचालन को समर्पित हैं।
ईमेल - editor@kalayan.org वेबसाइट - www.mathurakalauny.com
वेब पत्रिका और कलायन थिएटर - www.kalayan.org
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.