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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजीवन की सच्चाइयों की मनोरंजक प्रस्तुति है, एकांकी या नाटक। ये हमें जीवन से जोड़कर रखते हैं। चाहे कोई बच्चा हो, युवा हो या कोई वयोवृद्ध, ड्रामा सभी को, अपने-अपने तरह से आकृष्ट करने की क्षमता रखता है। सामाजिक परिवेश से मिली सुगम अथवा दुर्गम परिस्थितियाँ मनुष्य को अभिनय की ओर ले जाती हैं और एक कलाकार उसी के भावों को अभिनीत करता है।
एक एकांकी कार को तरह-तरह के एकांकी लिखने का अवसर प्राप्त होता है वह कभी समाजसुधारक तो कभी व्यंग्यकार के रूप में प्रहारक व मारक की भूमिकाएँ निभाता है। कभी वो दुख, क्षोभ, क्रोध को अपनाता है तो कभी अवसाद व ज्ञान-विज्ञान, मनोविज्ञान आदि का सहारा लेकर अपने एकांकी का सृजन करता है।
वास्तव में एकांकी दो धारी तलवार के समान कार्य करते हैं एक तरफ तो वह दर्शकों व पाठकों का भरपूर मनोरंजन करते हैं तो दूसरी ओर यही एकांकी लोगों को समसामयिक परिस्थितियों को लेकर सोचने पर बाध्य भी करते हैं।
मेरे नाटकों में वर्तमान में चल रहे अनुचित कृत्यों व समस्याओं को स्थान दिया गया है फिर चाहें ये एकांकी विद्यालयी स्तर पर देखे या पढ़े जायें या युवाओं व जनसाधारण द्वारा। ये सभी के मानस पटल पर एक प्रश्न चिन्ह छोड़ने वाले समस्या उन्मूलक एकांकी हैं।
प्रस्तुत एकांकी अत्यन्त सरल व सुबोध भाषा में लिखे गये हैं, जिससे स्कूलों, कॉलेजों में किये जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इनसे जीवन की सीख मिल सके व युवाओं में संवाद कुशलता का निर्माण किया जा सके। इस पुस्तक के सभी एकांकी, सभी वर्गों के व्यक्तियों के लिए "पाथेय" बनने में सक्षम हैं।
निधि पंत
उत्तराखण्ड के कुमाऊँ परिवार में पली-बढ़ी श्रीमती निधि पंत का जन्म, 19 मार्च 1968 में राजस्थान के जयपुर शहर में हुआ है। आपने अपनी आरम्भिक शिक्षा और एम.फिल तक का सफर जयपुर में ही पूर्ण किया है। वर्तमान में, आप जयपुर में वरिष्ठ अध्यापिका के पद पर आसीत हैं।
शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में आपके द्वारा कई उपलब्धियाँ अर्जित की गई हैं। आपके द्वारा लिखित हिन्दी पाठ्य माला "अनमोल मोती" (भाग-1 से 5) एवं "व्याकरण माला" (कक्षा 1 से 5 तक) आदि पुस्तकें दिल्ली उदयपुर व जयपुर जैसे शहरों के विद्यालयों में पढ़ाई जा रही हैं।
समाचार पत्रों में भी बाल्यकाल से आपकी कविताओं का चयन व प्रकाशन हुआ है। बहुमुखी प्रतिभाओं का धनी आपका व्यक्तित्व लोगों द्वारा सदैव ही सराहनीय एवं प्रशंसनीय रहा है। विद्यालयी स्तर पर आपके द्वारा लिखे भाषण व वाद-विवाद प्रतियोगिताओं से संबंधित लेख समय-समय पर पुरस्कृत किये जाते रहे हैं।
एकांकी लिखना ही नहीं, उसका श्रेष्ठ मंचन कर, पुरस्कार जीतना भी आपके एक अद्भुत कौशल को प्रदर्शित करता है। प्रस्तुत पुस्तक "एकांकी निर्झर" में चयनित व पुरस्कृत एकांकियों का सफल मंचन भी किया जा चुका है। ये नाटक/एकांकी विशेष रूप से स्कूल व कॉलेजों के विद्यार्थियों की समस्याओं को ध्यान में रखकर लिखे गये हैं।
हिन्दी की कुशल अध्यापिका होने के साथ-साथ आप एक अच्छी गायिका, लेखिका, निर्मात्री व निर्देशिका भी रही हैं। दूरदर्शन पर आपके गायन व नृत्य नाटिकाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है। गायन प्रतिभा के चलते, आपने अपने कॉलेज समय में "राज्य स्तरीय गायन प्रतियोगिता" की "लोक-गीत" श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। शास्त्रीय गायन में आप विशेष रूचि रखती हैं।
आपके द्वारा कई बार "साप्ताहिक-समारोहों" वाद-विवाद प्रतियोगिता, नाटकों आदि में निर्णायक की भूमिका भी निभाई गई है।
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