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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसंयुक्त अरब अमीरात एक ऐसा देश है जहाँ प्रत्येक वह कार्य होता हुआ दिख जाता है जो युगांतर से असंभव समझा जाता रहा है। यहाँ की ऊष्ण जलवायु में जैसे वनस्पति उत्तरजीविता सीख लेती है, वैसे ही मानव भी अनुरूपण विकसित कर लेते हैं। राष्ट्रीय वृक्ष ‘ग़ाफ़’ अपनी जड़ों से धरती को बेधकर पानी खींच लेता है और अपने नुकीले काँटों द्वारा वायु की आर्द्रता से पानी सोख लेता है वैसे ही यहाँ का साहित्य समाज शुष्कता के भीतर भी रसास्वादन कर लेता है और वह अर्क छलक-छलककर अब विश्व तक अपनी छींटे पहुँचा रहा है। यू.ए.ई. के रचनाकार राष्ट्रीय पक्षी बाज़ के समान ही अपने उद्देश्य पर पैनी दृष्टि रखते हुए रचनाकर्म में प्रवृत्त हो रहे हैं। ‘दुबई’ नाम से ख्यातिप्राप्त यह देश यू.ए.ई. अपनी आर्थिक समृद्धता के साथ ही बौद्धिक समृद्धता के रूप में अपनी पहचान बनाने को अग्रसर है।
यू.ए.ई. के प्रवासी रचनाकारों को समर्पित इस पुस्तक को पाठकों की रुचि और सुविधा के लिए 5 अध्यायों में विभक्त कर रचा गया है। पहले अध्याय ‘काव्य खंड’ में कविता, दोहे, हाइकु, गज़ल तथा नज्म पढ़कर गुनगुनाइए। ‘कथात्मक गद्य’ दूसरे अध्याय में कहानी, लघुकथा आदि से काल्पनिक जगत की सैर कर आइए। तीसरे खंड ‘कथेतर गद्य’ में संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, आलेख, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार, रिपोर्ताज आदि द्वारा देश-दुनिया का ज्ञान पाइए। चौथा खंड ‘चित्र कानन’ की दृश्य-दावत में फ़ोटोग्राफ़ी, चित्रकारी, पेंसिल वर्क, चित्र-प्रदर्शनी के दर्शन कर यू.ए.ई. की कला-समृद्धि का स्वाद चखिए। पाँचवें व अंतिम खंड में यू.ए.ई. के तमाम रचनाकारों से मिल लीजिए। इस पुस्तक के माध्यम से आप यू.ए.ई. के प्रवासी भारतीय संचयकारों के मन-भाव तक पैठ बना सकेंगे।
डॉ. आरती 'लोकेश'
डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने अंग्रेज़ी साहित्य मास्टर्स में कॉलेज में द्वितीय स्थान तथा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि ली। तीन दशकों से शिक्षाविद हैं व वर्तमान में दुबई में कार्यरत रहते हुए साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं।
पच्चीस वर्षों से दुबई में बसी प्रवासी लेखिका डॉ. आरती ‘लोकेश’ की 20 पुस्तकें प्रकाशित हैं। चार उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’, ‘निर्जल सरसिज’, 'ऋतम्भरा के सौ द्वीप'; चार काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’ ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’, 'षड्गंधा'; दो कहानी संग्रह ‘साँच की आँच’ व ‘कुहासे के तुहिन’, दो कथेतर गद्य-संग्रह ‘कथ्य अकथ्य’, ‘अश्रुत श्रव्य’; लघुकथा-संग्रह ‘दूर्वादल’; यात्रा-संस्मरण ‘झरोखे’; शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य और सामाजिक चेतना’; पाँच संपादित: ‘सोच इमाराती चश्मे से’, ‘होनहार बिरवान’, ‘डॉ. अशोक कुमार मंगलेश : काव्य एवं साहित्य चिंतन’, ‘अनन्य कृति यू.ए.ई.’, ‘यू.ए.ई. की चयनित रचनाएँ – स्वर्ण सचान काव्यजग’ तथा ‘फ़िबोनाची वितान’।
उनकी रचनाएँ 100 से अधिक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं तथा 50 से अधिक साझा संग्रहों में प्रकाशित हैं। इनके साहित्य पर पंजाब, उड़ीसा व हरियाणा के विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया जा रहा है व यूक्रेन में कहानियों पर शोध हो चुका है। 'अनन्य यू.ए.ई.' पत्रिका की मुख्य संपादक होने के साथ-साथ वे ‘श्री रामचरित भवन ह्यूस्टन’ की सह-संपादिका तथा ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्न्स’ की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संपादक हैं। प्रणाम पर्यटन पत्रिका की विशेष संवाददाता यूएई हैं। टैगोर विश्वविद्यालय तथा ‘विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस’ से सम्बद्ध हैं।
उन्हें मॉरीशस व भारत सरकार द्वारा 'आप्रवासी हिंदी साहित्य सृजन सम्मान', ‘प्रवासी महाकवि प्रो. हरिशंकर ‘आदेश’ स्मृति साहित्य सम्मान’, ‘रंग राची सम्मान’, ‘शिक्षा रत्न’ सम्मान, ‘हिंदी शिक्षक सम्मान’ 'शब्द शिल्पी भूषण सम्मान', 'प्रज्ञा सम्मान', ‘निर्मला स्मृति हिन्दी साहित्य रत्न सम्माrन’, ‘प्रवासी भारतीय समरस श्री साहित्य सम्मान’; वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स लंडन, भारतीय कौंसलावास दुबई, अंतर्राष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच, वैश्विक हिंदी संस्थान ह्यूस्टन, यू.एस.ए., साहित्य अर्पण मंच दुबई द्वारा प्रशस्ति-पत्र मिला है। ‘शुभ संकल्प एवं हुनर फ़ोक्स एकेडेमी’, ‘हिंदी ग्लोबल फाउं
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