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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palवस्तुतः व्यंग्य का जन्म व्यक्तिगत, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक अथवा किसी न किसी परिस्थितिगत विसंगति से ही होता है। व्यंग्यकार का अंतस् जो होना चाहिए, उसके न होने से आहत होता है, तभी वह उस विसंगति पर अपने लेखन से चोट करता है। उसकी इस चोट में एक ओर हास्य-व्यंग्य का आनन्द रहता है तो दूसरी ओर उस विसंगति के त्रास की सघन अनुभूति भी उजागर होती है जो पाठक को जागरूकतापूर्ण संदेश देती है, उसे झकझोरकर उसकी आँखें खोलती है। उसकी दृष्टि को उन अतल अंधकारों तक ले जाती है जहाँ सहज ही वह नहीं देख पा रहा है। व्यंग्यकार की सफलता इसी में है कि वह उन अतल अंधकारों को अपनी भाषा की सहज सम्प्रेषणीयता और संकेतात्मक षैली के माध्यम से किस कुशलता से आलोकित कर पाता है।इस संकलन का पहला व्यंग्य प्रख्यात व्यंग्यकार श्री श्रवण कुमार उर्मिलिया का है जिसमें उन्होंने दहेज की प्रतिस्पर्धा के परिणामों की ओर इशारा किया है। अपनी पत्रवधू जब दहेज लाई थी तो वह लक्ष्मी थी लेकिन जब अपने रिश्तेदार की पुत्रवधू उससे भी अधिक दहेज ले आई तो अपनी पुत्रवधू कुलक्षिनी हो गई।‘छोटके का मोलभाव’ व्यंग्य में लड़की के पिता के सामने ‘छोटके का मोलभाव’ तय करने के लिए पूरे गाँव के बुजुर्ग एकत्रित होते हैं। पूरा मोल-भाव होता है किन्तु अन्त में छोटका ही दहेज के विरुद्ध खड़ा हो जाता है। संकलन के दूसरे पूरे व्यंग्य में दहेज के सम्बन्ध में गाँव के निवासियों की एक-दूसरे से ईर्ष्याभाव और शिक्षित पीढ़ी के द्वारा दहेज जैसे कोढ़ से मुक्ति का प्रयास प्रकट किया गया है।संकलन के तीसरे व्यंग्य-‘राख की ढेरी’ में डॉ. अलका पाठक ने समाज के ऐसे रसूखदार व्यक्तियों के व्यक्तित्व पर करारा व्यंग्य
सम्पादक डॉ. दिनेश पाठक शशि
डा.दिनेश पाठक ‘शशि’ जन्म - 10 जुलाई 1957, जन्म स्थान -गाँव-रामपुर (नरौरा), जिला-बुलन्दशहर (उ0प्र0)-202397 पिताश्री - पं0 हरप्रसाद पाठक, माताश्री : श्रीमती चंपा देवी
शिक्षा - विद्युत इंजीनियरिंग, एम0 ए0 (हिन्दी), पी-एच0 डी0,
सचिव - पं0 हरप्रसाद पाठक-स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार समिति, मथुरा।
संरक्षक - तुलसी साहित्य-संस्कृति अकादमी मथुरा (उ.प्र.)
सम्प्रति - रेलवे में सीनियर सेक्षन इंजीनियर पद से जुलाई-2017 में सेवानिवृत्त
विषेष गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा राजभाषा सलाहकार समिति के लिए 5 वर्ष (2019 से 2023 तक) हेतु चयनित।
*बालकहानी ‘भूल’ पर ‘शोर्ट फिल्म’ का निर्माण हुआ है।
*चार बाल-कहानियाँ कक्षा-1,2,4 एवं 6 के हिन्दी पाठ्यक्रम में ।
*कुछ बालकहानी वं लघुकथाओं का अंग्रेजी, मराठी, बंगला, पंजाबी आदि नौ भाषाओं में अनुवाद।
*बाल साहित्य समीक्षा मासिक का अक्टूबर-2008 अंक ‘‘डा.दिनेश पाठक ‘शशि’ विषेषांक’’ के रूप में प्रकाशित हुआ था। ।
व्यंक्तत्व पर शोधः आगरा विश्वविद्यालय से डा. शिखा तोमर ने ‘‘कथा शिल्पी डा.दिनेश पाठक ‘शशि’ का हिन्दी साहित्य को प्रदेय’’ शीर्षक से शोध किया है।
प्रकाशित कृतियाँ-
कहानी संग्रह- 3
पुरस्कार/सम्मान- * भारत सरकार द्वारा प्रदत्त प्रेमचन्द पुरस्कार-1996 लगभग तीन दर्जन साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत/सम्मानितप्रसारण- सन् 1980 से आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रो मथुरा-वृन्दावन, दिल्ली, रोहतक, ग्वालियर एवं राष्ट्रीय चैनल दिल्ली से बाल कहानी, कहानी, ब्रजभाषा कहानी, कविता, नाटक एवं झलकियों का प्रसार
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