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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palडा.दिनेश पाठक ‘शशि’ जन्म - 10 जुलाई 1957, जन्म स्थान - गाँव-रामपुर (नरौरा), जिला-बुलन्दशहर (उ0प्र0)-202397 पिताश्री - पं0 हरप्रसाद पाठक, माताश्री . श्रीमती चंपा देवी शिक्षा - विद्यRead More...
डा.दिनेश पाठक ‘शशि’
जन्म - 10 जुलाई 1957, जन्म स्थान - गाँव-रामपुर (नरौरा), जिला-बुलन्दशहर (उ0प्र0)-202397 पिताश्री - पं0 हरप्रसाद पाठक, माताश्री . श्रीमती चंपा देवी
शिक्षा - विद्युत इंजीनियरिंग, एम0 ए0 (हिन्दी), पी-एच0 डी0,
सचिव - पं0हरप्रसादपाठक-स्मृतिबालसाहित्यपुरस्कारसमिति, मथुरा। संरक्षक -बाल किरण द्वैमासिक पत्रिका बस्ती (उ.प्र.)
सम्प्रति - रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त सम्पर्क - 28. सारंगविहार, पोस्ट-रिफायनरीनगर, मथुरा-281006 मो.-09870631805, एवं ईमेल* drdinesh57@gmail.com विशेष - गृहमंत्रालय के राजभाषाविभाग द्वारा राजभाषा सलाहकार समिति हेतु चयनित।· बालकहानी ‘भूल’ पर ‘शोर्ट फिल्म’ का निर्माण हुआ है। · तीन बाल-कहानियाँ कक्षा-1,2, एवं 6 के हिन्दी पाठ्यक्रम में । · ’कुछ बालकहानी वं लघुकथाओं का अंग्रेजी, मराठी, बंगला, पंजाबी आदि नौ भाषाओं में अनुवाद।· बाल साहित्य समीक्षा मासिक का अक्टूबर-2008 अंक ‘‘डा.दिनेश पाठक ‘शशि’ विशेषांक’’ के रूप में प्रकाशित हुआ था। । व्यंक्तित्व पर शोध- आगरा विश्वविद्यालय से डा. शिखा तोमर ने सन् 2009 में‘‘कथा शिल्पी डा.दिनेश पाठक ‘शशि’ का हिन्दी साहित्य को प्रदेय’’ शीर्षक से शोध किया है।
2. डॉ. विकास कुमार सिंह ने सन् 2021 में किए अपने शोध -‘हिन्दी कहानी साहित्य में बाल-विमर्ष’ में डा. दिनेश पाठक ‘शशि’ के बाल कहानी संग्रह-‘आत्म विश्वास की जीत’ की कहानियों का विवरण प्रस्तुत किया है।
3. डॉ.भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय, आगरा से -‘ डॉ. दिनेश पाठक शशि का बाल साहित्य’ शीर्षक से एक शोध हो रहा है।
4. डॉ.भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय, आगरा से ‘21वीं सदी की हिन्दी बाल कहानियों में मूल्यबोध’ शीर्षक से एक शोध हो रहा है।
5. सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय पुणे महाराष्ट्र से ‘21वीं सदी के प्रतिनिधि हिन्दी बाल कहानियों में संवेदना के विविध आयाम’शीर्षक से एक शोध हो रहा है।
6. महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली, उ.प्र. से ‘हिन्दी बाल साहित्य के क्षेत्र में डॉ. दिनेश पाठक शशि का प्रदेय’ शीर्षक से एक लघुशोध हो रहा है।
7. राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़ उ.प्र से ‘डॉ. दिनेश पाठक शशि के बाल साहित्य का अनुशीलन’ शीर्षक से एक लघुशोध हो रहा है।
प्रकाशित कृतियाँ- 41 Books कहानी संग्रह- 4 1. अनुत्तरित 2. धुंध के पार 3. निरीह ईबुक एमेजॉन पर भी 4. हैल्पलैस (अंग्रेजी में) ईबुक एमेजॉन पर भी ब्रजभाषा कहानी संग्रह- 3 5.बेड़ियाँ 6.फूलो ईबुक एमेजॉन पर भी 7.परिकम्मा ईबुक एमेजॉन पर भी लघुकथा संग्रह- 2 8. हाँ, यह सच है 9. सत्य का बोध
व्यंग्य संग्रह- 1
10. भ्रष्टाचRead Less...
Achievements
एक ऐसी पुस्तक जिसे पढ़कर विश्व का कोई भी प्राणी, ब्रज के मूर्धन्य साहित्यकारों के बारे में अनुमान कर सके कि हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में ब्रजरज में बसे साहित्यकारों का कित
एक ऐसी पुस्तक जिसे पढ़कर विश्व का कोई भी प्राणी, ब्रज के मूर्धन्य साहित्यकारों के बारे में अनुमान कर सके कि हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में ब्रजरज में बसे साहित्यकारों का कितना महती योगदान रहा है। इस पुस्तक में आधुनिक काल के कीर्तिशेष 90 साहित्यकारों के जीवन के पक्षों को उकेरने का कार्य किया गया है यह पुस्तक ब्रज के आधुनिक साहित्यकारों पर शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
पं.हरप्रसाद पाठक-स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार समिति के वार्षिक कार्यक्रमों की स्मारिका संस्मृति.2023 है।यह स्मारिका समिति द्वारा सम्मानित किये जाने वाले साहित्यकारों एवं प्रति
पं.हरप्रसाद पाठक-स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार समिति के वार्षिक कार्यक्रमों की स्मारिका संस्मृति.2023 है।यह स्मारिका समिति द्वारा सम्मानित किये जाने वाले साहित्यकारों एवं प्रतिभाओं का परिचय कराती है। इस स्मारिका के द्वारा विभिन्न प्रतिभाओं को एक मंच पर एकसाथ देखा जा सकता है।
डॉ. दिनेश पाठक 'शशि' जो एक जाने माने साहित्यकार हैं, आप के कहानी संग्रह 'माफ करना पिताजी' मे समाज के वर्तमान परिवेश को संकेतित करती हुई 10 कहानियां हैं।ये सभी कहानियां पारिवारिक क
डॉ. दिनेश पाठक 'शशि' जो एक जाने माने साहित्यकार हैं, आप के कहानी संग्रह 'माफ करना पिताजी' मे समाज के वर्तमान परिवेश को संकेतित करती हुई 10 कहानियां हैं।ये सभी कहानियां पारिवारिक कहानियां हैं, आम घरों की कहानियां हैं और कहानी पढ़ते-पढ़ते पाठक कहानी के पात्रों को अपने आस-पास खोजने लगता है। कहानी पढ़ते ही कुछ देर के लिए तो ऐसा लगता कि जैसे यह कहानी नहीं, हमारे आस-पास की कोई घटना कहानी में पिरो दी गयी है। सभी कहानियां यथार्थ जगत से ली गयी हैं।एक अच्छे संग्रह के लिए लेखक को बहुत-बहुत बधाईयां। (प्रो. बीना शर्मा) निदेशक केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा
डॉ .दिनेश पाठक ‘शशि’ का बाल उपन्यास 'किट्टी' बालकों के लिए लिखे जाने वाले उपन्यासों के क्षेत्र में हवा के एक ताजे झोंके की तरह है। बच्चों को अपने पालित पशुओं से कितना प्
डॉ .दिनेश पाठक ‘शशि’ का बाल उपन्यास 'किट्टी' बालकों के लिए लिखे जाने वाले उपन्यासों के क्षेत्र में हवा के एक ताजे झोंके की तरह है। बच्चों को अपने पालित पशुओं से कितना प्रेम होता है इसका प्रमाण है यह बाल उपन्यास। पढ़ने पर यह सायास लिखा गया उपन्यास नहीं बल्कि एक आँखों देखा हाल मालूम पड़ता है, बच्चे इस उपन्यास को अवश्य ही बहुत पसन्द करेंगे साथ ही परोक्ष रूप से निहित इसकी शिक्षाओं से बहुत कुछ सीखेंगे भी। डॉ. सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
प्रस्तुत पुस्तक ‘बाल साहित्य समीक्षा के स्वर’ एक ऐसी विधा की प्रतिनिधि होकर सामने आई है जिस पर देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके सहस्त्राधिक समीक्षा प्र
प्रस्तुत पुस्तक ‘बाल साहित्य समीक्षा के स्वर’ एक ऐसी विधा की प्रतिनिधि होकर सामने आई है जिस पर देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके सहस्त्राधिक समीक्षा प्रकाशनों की गूंज सुनाई देगी।
पुस्तक ‘बाल साहित्य समीक्षा के स्वर में कुल बारह समीक्षाओं में से चार समीक्षाएँ बाल कहानी संग्रह, सात बाल काव्य संग्रह एवं एक बाल आलेखों की पुस्तक से सम्बन्धित हैं। यूँ तो सम्पूर्ण साहित्य जगत, ऐसी कृतियों से लाभान्वित होता है, परन्तु नवोदित साहित्यकारों-समीक्षकों के लिये यह संग्रह-‘‘बाल साहित्य समीक्षा के स्वर’ विशेष ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक और मार्ग दर्शक सिद्ध होगा। (मदन मोहन शर्मा‘अरविन्द)
पुस्तक-‘इति बेद बदंति न दंतकथा में श्रीराम और संतशिरोमणि तुलसीदास जी की रामचरित मानस के नवनीत को 29 शोध आलेखों के रूप में समाहित किया गया है।यह पुस्तक श्री राम में आस्था
पुस्तक-‘इति बेद बदंति न दंतकथा में श्रीराम और संतशिरोमणि तुलसीदास जी की रामचरित मानस के नवनीत को 29 शोध आलेखों के रूप में समाहित किया गया है।यह पुस्तक श्री राम में आस्था रखने वालों के ज्ञान में तो वृद्धि करते हुए उन्हें मानसिक खुराक प्रदान करेगी ही, उस जनमानस, जो अज्ञानतावश दिग्भ्रमित हो गये थे की बहुत सी जिज्ञासाओं को भी शान्त करने हेतु ज्योतिपुंज का काम करेगी। श्री राम चरित मानस एवं संत शिरोमणि तुलसीदास जी के विषय में इस पुस्तक में ऐसे गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन करने वाले आलेख हैं जिनको पढ़कर आप आश्चर्यचकित रह जायेंगे। डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि’
Dr. Dinesh Pathak Shashi is a renowned author of brajmandal as well as an established author of children's literature.He has given a very interesting and impressive description of Brajmandal's festivals, public life fairs and folk literature and culture in his new work 'The Scattered Pages'.
I congratulate Dr. Dinesh Pathak Shashi for the creation of this work highlighting Braj folk life.And I hope that in the same way, he will keep his pen movin
Dr. Dinesh Pathak Shashi is a renowned author of brajmandal as well as an established author of children's literature.He has given a very interesting and impressive description of Brajmandal's festivals, public life fairs and folk literature and culture in his new work 'The Scattered Pages'.
I congratulate Dr. Dinesh Pathak Shashi for the creation of this work highlighting Braj folk life.And I hope that in the same way, he will keep his pen moving continuously for the promotion of Braj literature and culture.
Dr. Shree Bhagwan Sharma Professor (Department of Hindi)
एक ऐसी पुस्तक जिसे पढ़कर विश्व का कोई भी प्राणी, ब्रज के मूर्धन्य साहित्यकारों के बारे में अनुमान कर सके कि हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में ब्रजरज में बसे साहित्यकारों का कित
एक ऐसी पुस्तक जिसे पढ़कर विश्व का कोई भी प्राणी, ब्रज के मूर्धन्य साहित्यकारों के बारे में अनुमान कर सके कि हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में ब्रजरज में बसे साहित्यकारों का कितना महती योगदान रहा है। इस पुस्तक में आधुनिक काल के कीर्तिशेष 90 साहित्यकारों के जीवन के पक्षों को उकेरने का कार्य किया गया है यह पुस्तक ब्रज के आधुनिक साहित्यकारों पर शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
आज हर क्षेत्र में जागरूकता की आवश्यकता है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए कहानी संग्रह- जाग्रत बाल कहानियाँ की कहानियाँ लिखी गई हैं। इन कहानियों में आपको पाखण्डों से सावधान
आज हर क्षेत्र में जागरूकता की आवश्यकता है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए कहानी संग्रह- जाग्रत बाल कहानियाँ की कहानियाँ लिखी गई हैं। इन कहानियों में आपको पाखण्डों से सावधान करती हुई कहानी पढ़ने को मिलेंगीं तो घरों में पालतू अपने जानवरों की वफादारी की मिशाल प्रस्तुत करती कहानी भी पढ़ने को मिलेगी। अपने देश के प्रति अपने जीवन को वलिदान करने वाली उत्प्रेरक कहानी भी आप इसमें पढ़ेंगे।
पं.हरप्रसाद पाठक-स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार समिति के वार्षिक कार्यक्रमों की स्मारिका संस्मृति.2023 है।यह स्मारिका समिति द्वारा सम्मानित किये जाने वाले साहित्यकारों एवं प्रति
पं.हरप्रसाद पाठक-स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार समिति के वार्षिक कार्यक्रमों की स्मारिका संस्मृति.2023 है।यह स्मारिका समिति द्वारा सम्मानित किये जाने वाले साहित्यकारों एवं प्रतिभाओं का परिचय कराती है। इस स्मारिका के द्वारा विभिन्न प्रतिभाओं को एक मंच पर एकसाथ देखा जा सकता है।
संग्रह की चारों कहानियाँ हमारे परिवेश की कहानियाँ है। ये अति सहज कथोपकथन के साथ सरल भाषा में लिखी उद्देश्य परक रचनाएँ है। इनकी रोचकता पाठक को आकर्षित करती है। पहली कहानी आई वाट
संग्रह की चारों कहानियाँ हमारे परिवेश की कहानियाँ है। ये अति सहज कथोपकथन के साथ सरल भाषा में लिखी उद्देश्य परक रचनाएँ है। इनकी रोचकता पाठक को आकर्षित करती है। पहली कहानी आई वाट टू सी में मोबाइल की उपयोगिता बताई गयी है। दूसरी कहानी 'दिल्ली की सैर' में कृत्रिम सौर मण्डल यानी प्लेनेटोरियम की कार्यप्रणाली के बारे में बहुत रोचक ढंग से जानकारी दी गयी है। यह कहानी यह संदेश देती है कि हमारे बच्चे अधिक जानकार और जागरूक है।"दादू का जादू" कहानी हर परिवार की कहानी है। अनियमित दिनचर्या के कारण इस कहानी का पात्र धैर्य घर से स्कूल तक अस्तव्यस्त तथा परेशान रहता है। दादा जी की प्रेरणा से वही बच्चा नियमित रूप से सवेरे उठने और प्रातः भ्रमण पर जाने लगता है। इस प्रकार न सिर्फ उसकी दिनचर्या नियमित हो जाती है बल्कि वह अपनी पढाई भी व्यवस्थित ढंग से करने लगता है। सबसे अच्छी बात यह है कि दादाजी अपने पोते को सारी अच्छी बातें उपदेश के रूप में नहीं बल्कि सहज रूप से खेल-खेल में सिखा जाते है। चौथी कहानी "समस्या की जड़" भी लगभग इसी पृष्ठभूमि की कहानी है। यह कहानी बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावको को भी यह सीख दे जाती है कि बच्चा अपने माता-पिता तथा बड़ों का अनुसरण करता है। वह घर में जो कुछ देखता है वही सीखता है इसलिए माँ-बाप को चाहिए कि यदि वे अपने बच्चों को सुसंस्कारित करना चाहते हैं तो उनके सामने सही एवं मर्यादित आचरण करें। अखिलेश श्रीवास्तव चमन
The play ‘Truth of Every Bit’ of Sri Dinesh Pathak ‘Shashi’ is really a mirror of truth in which the incidents of the play move before us like a reel. In this play the writer has presented various aspects of society in a very poignant, simple and comprehensive way. All the aspects have been presented in such a way that gets a place in your heart and mind. Dr. Dinesh Pathak ‘Shashi’ has presented all the elements of dra
The play ‘Truth of Every Bit’ of Sri Dinesh Pathak ‘Shashi’ is really a mirror of truth in which the incidents of the play move before us like a reel. In this play the writer has presented various aspects of society in a very poignant, simple and comprehensive way. All the aspects have been presented in such a way that gets a place in your heart and mind. Dr. Dinesh Pathak ‘Shashi’ has presented all the elements of drama like- character and action, through dialogues in such a way that they prove worthy and completely effective in acting. By expressing the feelings of the characters deeply, ups and downs in tone, manner of dialogue delivery. The writer has written the dialogues in such a way as we feel that we are enjoying the play literally on the stage. This is intellectual capacity of Dr. Dinesh Pathak ‘Shashi’.
बाल कहानी संग्रह-‘‘सपने में सपना’’में दिनेश द्वारा लिखी गई छह बाल कहानियाँ संग्रहीत हैं जिनमें कहानी ‘हेल बोप्प’ के माध्यम से दिनेश ने प्रातः जल्दी जागने के अनेक फायद
बाल कहानी संग्रह-‘‘सपने में सपना’’में दिनेश द्वारा लिखी गई छह बाल कहानियाँ संग्रहीत हैं जिनमें कहानी ‘हेल बोप्प’ के माध्यम से दिनेश ने प्रातः जल्दी जागने के अनेक फायदों की ओर इशारा किया है तो कहानी ‘पराया दुःख’ के माध्यम से एक अच्छा पड़ोसी धर्म निभाना इंसानियत की निशानी है। कभी भी दूसरों को कष्ट देकर हम प्रसन्न नहीं हो सकते। पानी के अपव्यय की ओर भी यह कहानी इशारा करती है।संग्रह की शीर्षक कहानी ‘सपने में सपना’ एक अच्छे प्राचार्य के लक्षणों को तो बताती ही है साथ ही यह भी बतलाती है कि प्रत्येक व्यक्ति का कार्य महत्वपूर्ण होता है।‘भूल’ कहानी बताती है कि माता-पिता को अपने बच्चों से बातें करने का समय निकालना चाहिए। बच्चे तो बच्चे हैं, यह सोचकर उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचानी चाहिए।कहानी ‘और चोरी रुक गई’ तथा ‘पश्चाताप’ सिखाती है कि हमारी शरारतें अन्ततः हमको ही नुकसान पहुँचाती हैं।यद्यपि इन कहानियों में दिनेश ने सीधे-सीधे तो कोई उपदेश नहीं दिया है फिर भी मेरा ऐसा विश्वास है कि इन कहानियों को पढ़कर बच्चे ही नहीं, किशोर और उनके माता-पिता भी बहुत कुछ सीखेंगे। डॉ.सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
प्रस्तुत पुस्तक ‘विविध स्वरों की गूँँज’ एक ऐसी विधा की प्रतिनिधि होकर सामने आई है जिस पर देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके सहस्त्राधिक समीक्षा प्रकाशनो
प्रस्तुत पुस्तक ‘विविध स्वरों की गूँँज’ एक ऐसी विधा की प्रतिनिधि होकर सामने आई है जिस पर देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके सहस्त्राधिक समीक्षा प्रकाशनों की गूंज सुनाई देगी। पुस्तक ‘विविध स्वरों की गूँज’ में कुल उन्नीस समीक्षाओं में से तीन समीक्षाएँ उपन्यास, पाँच कहानी संग्रह, चार लघुकथा संग्रह तथा चार काव्य संग्रह एवं एक यात्रा वृतांत, एक चिंतन-संस्कृति, एक जीवनी परक पुस्तक से सम्बन्धित हैं। यूँ तो सम्पूर्ण साहित्य जगत, ऐसी कृतियों से लाभान्वित होता है, परन्तु नवोदित साहित्यकारों-समीक्षकों के लिये यह संग्रह-‘विविध स्वरों की गूँज’ विशेष ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक और मार्ग दर्शक सिद्ध होगा। मदन मोहन शर्मा‘अरविन्द’
बाल कहानी संग्रह-‘आत्म विश्वास’ की सभी कहानियाँ बच्चों को परोक्ष रूप से नैतिक शिक्षा देने वाली, उनका मनोरंजन करने वाली तथा उन्हें एक सुसंस्कारित नागरिक बनाने में सहायक बाल
बाल कहानी संग्रह-‘आत्म विश्वास’ की सभी कहानियाँ बच्चों को परोक्ष रूप से नैतिक शिक्षा देने वाली, उनका मनोरंजन करने वाली तथा उन्हें एक सुसंस्कारित नागरिक बनाने में सहायक बाल कहानियाँ हैं। डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ बाल मनोविज्ञान के पारखी हैं अतः उनकी बाल कहानियाँ उत्कृष्ट रचनाओं में गिनी जाने वाली होती हैं।
आचार्य नीरज शास्त्री
डॉ. दिनेश पाठक 'शशि' जो एक जाने माने साहित्यकार हैं, आप के कहानी संग्रह 'माफ करना पिताजी' मे समाज के वर्तमान परिवेश को संकेतित करती हुई 10 कहानियां हैं।ये सभी कहानियां पारिवारिक क
डॉ. दिनेश पाठक 'शशि' जो एक जाने माने साहित्यकार हैं, आप के कहानी संग्रह 'माफ करना पिताजी' मे समाज के वर्तमान परिवेश को संकेतित करती हुई 10 कहानियां हैं।ये सभी कहानियां पारिवारिक कहानियां हैं, आम घरों की कहानियां हैं और कहानी पढ़ते-पढ़ते पाठक कहानी के पात्रों को अपने आस-पास खोजने लगता है। कहानी पढ़ते ही कुछ देर के लिए तो ऐसा लगता कि जैसे यह कहानी नहीं, हमारे आस-पास की कोई घटना कहानी में पिरो दी गयी है। सभी कहानियां यथार्थ जगत से ली गयी हैं।एक अच्छे संग्रह के लिए लेखक को बहुत-बहुत बधाईयां। (प्रो. बीना शर्मा) निदेशक केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा
Realisation of truth is the self-proof of consciousness or awareness prevalent in the society. Conscious intellectual is enlightened with his deeds moving above the material pleasure and keeps on challenging the darkness all around. All these challenges are coming before us through the short stories collection of Dr Dinesh Shashi Pathak.The diction of the stories is very clear and lofty in other words the stories in this collection which are full of all
Realisation of truth is the self-proof of consciousness or awareness prevalent in the society. Conscious intellectual is enlightened with his deeds moving above the material pleasure and keeps on challenging the darkness all around. All these challenges are coming before us through the short stories collection of Dr Dinesh Shashi Pathak.The diction of the stories is very clear and lofty in other words the stories in this collection which are full of all the nine senses presents the truth and unity of composition defines the coolness of the collection It's an untold fact that the expressed feelings are the strong wishes of a person and only these feelings keep them secure. The short stories compel us to feel the heart although partially. Many of these stories are very strong in style and plot. Even though his stories are of all time, they have not got place as the deserved. It is my moral duty to express my regret on this.
दस्तक लघुकथा संकलन में कुल 63 लेखक-लेखिकाओं की उत्कृष्ट लघुकथाओं को शामिल किया गया है। लेखन के क्षेत्र में उतरीं नारी आज अनेक युगीन समस्याओं को अपने लेखन के माध्यम से सामने ला
दस्तक लघुकथा संकलन में कुल 63 लेखक-लेखिकाओं की उत्कृष्ट लघुकथाओं को शामिल किया गया है। लेखन के क्षेत्र में उतरीं नारी आज अनेक युगीन समस्याओं को अपने लेखन के माध्यम से सामने ला रही हैं। इस में भी उनकी ऐसी ही अनूठी लघुकथाएँ पाठक वर्ग को पढ़ने को मिलेंगीं। इसके साथ ही लघुकथाओं के सभी किन्तु, परन्तु का जबाव देते हुए चार वरिष्ठ लघुकथाकारों के एक-एक आलेख को भी समाहित किया गया है ताकि नवलघुकथाकारों को मार्गदर्शन भी प्राप्त हो सके। लघुकथा के रुचिवान पाठकों को यह पुस्तक पर्याप्त संतोष प्रदान करेगी, इसमें दो राय नहीं।
डॉ. सुरेन्द्र गुप्त
इस काव्यसंग्रह 'नकार नहीं सकते' में कुलमिलाकर 31 रचनाएं हैं। समसामयिक परिस्थितियों से जुड़ी कविताएं हैं, जिन्हें पढ़ने पर अपनी ही अन्तर्वेदना की सघन अनुभूति होती है।
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इस काव्यसंग्रह 'नकार नहीं सकते' में कुलमिलाकर 31 रचनाएं हैं। समसामयिक परिस्थितियों से जुड़ी कविताएं हैं, जिन्हें पढ़ने पर अपनी ही अन्तर्वेदना की सघन अनुभूति होती है।
छलावों के बीच कविता में वे स्पष्ट करते हैं कि क्षणिक सुख चासनी के समान लगता है, जिसके कारण व्यक्ति को उचित-अनुचित कुछ दिखाई नहीं देता। सुकून कविता में वैचारिक विरोधाभास को उजागर करते हुए कवि ने सुकून की तलाश की है।'लेखा जोखा' कविता में विद्वान कवि ने कर्मों के प्रतिफल जन्म-जन्मांतर तक भोगने की हिंदू-अवधारणा को काव्य रूप में प्रस्तुत किया है।'निर्जीव दीवारें 'कविता में वे बताते हैं कि आधुनिकता की दौड़ में लोग संवेदनहीन हो गए हैं।'पतझर के पत्तों सी' कविता जीवन भर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम रत जीवन के उत्तरार्ध में कुछ भी हाथ न लगने पर होने वाले प्रायश्चित को व्यक्त करती है। यह संपूर्ण काव्य संग्रह कविता रूपी विविध सुखद रंगीन पुष्पों का गुलदस्ता है। आचार्य नीरज शास्त्री
‘Boundless’ the fourth story collection of
Smt. Shashi Pathak is before you, after
making a special place among the women
writers with her first three story
collection ‘Fragrance of Relationships’,
‘Aparmit’ And ‘Riston ki sugandh’. Stories,
short stories, Children’s literature of Smt.
Shashi Pathak has been pu
‘Boundless’ the fourth story collection of
Smt. Shashi Pathak is before you, after
making a special place among the women
writers with her first three story
collection ‘Fragrance of Relationships’,
‘Aparmit’ And ‘Riston ki sugandh’. Stories,
short stories, Children’s literature of Smt.
Shashi Pathak has been published in
reputed magazines since last four decades.
Besides her Children’s novel ‘Nikhil aur
Grahon ki Anokhi duniya’ has been
published. Her creations have been welcomed
in the world of Hindi and English literature.
The present collection ‘Boundless’ is a high
level story collection of the writer. It very
well reveals that the writer is well experienced
and creative. The stories in this collection
are full of variety and reveals various
dimensions of life’s reality.
Dr. Anil Gahlaut
देशभर की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि‘ की लघुकथाएँ निरन्तर प्रकाशित होती रही हैं। लघुकथा -संग्रह ‘हाँ यह सच है‘ डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि‘
देशभर की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि‘ की लघुकथाएँ निरन्तर प्रकाशित होती रही हैं। लघुकथा -संग्रह ‘हाँ यह सच है‘ डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि‘ का प्रयोजनवती रचनाधर्मिता से परिपुष्ट एक ऐसा लघुकथा-संग्रह है, जो जीवन का विभिन्न कोणों से अवलोकन करता हुआ दिखायी देता है। जीवन में प्रायः घटित मानव-व्यवहार की विसंगतियाँ तथा समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के आचरण की विद्रूपताएँ ही डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि‘ की लघुकथाओं का आधार बनी हैं।इस संग्रह की अधिकांश लघुकथाएँ कथ्य और शिल्प की दृष्टि से सशक्त और उद्देश्यपूर्ण लघुकथाएँ हैं, जो लेखक की सिद्धहस्तता को प्रमाणित करती हैं।वस्तुत; ‘हाँ यह सच है‘ की लघुकथाएँ मानव-व्यवहार तथा समाज और राजनीति की वर्तमानयुगीन विसंगतियों की सच्ची तस्वीर सामने लाती हैं। डा0 अनिल गहलौत
A story collection written in English literature” FRAGNANCE OF RELATIONSHIP” is second story collection, OF Smt Shashi Pathak in which 16 excellent stories and 16 short stories have been included.
All the stories and short stories of this collection are also seen trying to dissolve sweetness in relations by removing social and family inequalities and bitterness.
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A story collection written in English literature” FRAGNANCE OF RELATIONSHIP” is second story collection, OF Smt Shashi Pathak in which 16 excellent stories and 16 short stories have been included.
All the stories and short stories of this collection are also seen trying to dissolve sweetness in relations by removing social and family inequalities and bitterness.
This novel not only provides information about nine planets, but it has also touched the present education system of children. Like how today’s child is suffocating in stress of education. I congratulate Smt. Shashi Pathak for composing this children’s novel ‘Nikhil and the Strange world of Planets’ and wish that this children’s novel will become a step for her successful literary career.
Dr. Trilokinath Vrajbal
This novel not only provides information about nine planets, but it has also touched the present education system of children. Like how today’s child is suffocating in stress of education. I congratulate Smt. Shashi Pathak for composing this children’s novel ‘Nikhil and the Strange world of Planets’ and wish that this children’s novel will become a step for her successful literary career.
Dr. Trilokinath Vrajbal
डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ की प्रस्तुत अभिनव पुस्तक-‘‘बाल साहित्य: एक विमर्श’’ एक ऐसा नवनीत प्रदान करेगी जो निश्चय ही बाल साहित्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक भूमिका का निर्वहन क
डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ की प्रस्तुत अभिनव पुस्तक-‘‘बाल साहित्य: एक विमर्श’’ एक ऐसा नवनीत प्रदान करेगी जो निश्चय ही बाल साहित्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक भूमिका का निर्वहन करेगी। इस पुस्तक में छह आलेख हैं जिनमें संवेदनशील, सजग और जिम्मेदार साहित्यकार के नाते लेखक ने अपनी चिन्ताओं को उजागर किया है। .
बालकथा लेखन और लेखकीय दायित्व आलेख में वह लिखते हैं- ‘‘वे (अभिभावक) अपने बालक को पुस्तक में लिखे अनुसार प्रातः भ्रमण पर निबन्ध तो रटाना चाहते हैं पर स्वयं जल्दी बिस्तर छोड़कर अपने साथ अपने बच्चे को भी प्रातः भ्रमण पर ले जाकर, उसे व्यावहारिक ज्ञान नहीं देना चाहते।’’
सामाजिक सरोकार की दृष्टि से सजग साहित्यकार और नागरिक की भूमिका में दृष्टिगोचर हो रहे हैं उनकी चिन्ता सर्वविदित है।‘‘बाल साहित्य में भारतीय संस्कार और परिवेश की भूमिका’’ नामक द्वितीय आलेख में विस्तृतचर्चा करते हुए अनेक उदाहरणों से महत्ता प्रतिपादित की गई है। ‘‘बालकथा लेखन: बदलते परिदृश्य’’ आलेख में लेखक ने उपनिषद, रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवत गीता, जैन और बौद्धों की जातक कथाओं, बोध कथाओं से लेकर मध्यकाल में परिवर्तित रूप का वर्णन किया है। इस आलेख में बहुत ही सुन्दर सांगोपांग वर्णन किया गया जो बालसाहित्य के प्रति चेतना जागृत करता है।चतुर्थ आलेख में लेखक ने हिन्दी बालसाहित्य में एतिहासिक चिंतन ’’ विषय पर शोधपूर्ण विश्लेषण करके अपनी व्यापक धोध-दृष्टि का परिचय दिया है। समग्र चिंतन और विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ का सृजन अद्भुत, अतुल्य, दिशा और दृष्टिपरक है। शोध छात्र, अध्यापक, अभिभावक आदि सभी के लिए उपयोगी है।
I am acquainted with Dr. Dinesh Pathak ‘Shashi’ and his writings for about thirty years. Dr Dinesh Pathak ‘Shashi’s name needs no introduction in the world of literature. I have read almost all of his children’s literature. I have written the introduction of his children’s novel – ‘KITTY’ too.
Dinesh selects his plot for his children’s stories, from the surrounding environment. While rea
I am acquainted with Dr. Dinesh Pathak ‘Shashi’ and his writings for about thirty years. Dr Dinesh Pathak ‘Shashi’s name needs no introduction in the world of literature. I have read almost all of his children’s literature. I have written the introduction of his children’s novel – ‘KITTY’ too.
Dinesh selects his plot for his children’s stories, from the surrounding environment. While reading his stories we start entering the spirit of the characters. They seem very familiar to us.
The language style of his stories appeals not only children but also young and adults.
Children’s story collection – “ THANK YOU MAM ” consists of six stories. Dr Dinesh Pathak has not given any direct lesson but I am quite sure that these stories will impart a great lesson not only to children but to the youngsters and their parents too.
“NIREEH“ a story collection by Dr. Dinesh Pathak ‘Shashi’ includes twenty-two stories. , they are successful ones. It presents a wide face of the problem. Many other stories like – ‘Double Standards’, ‘Slide’, ‘The flower of Palash’, ‘False Vanity’ are related to dowry and other family problems of women. These stories suggest that inspite of so many changes, dowry is sti
“NIREEH“ a story collection by Dr. Dinesh Pathak ‘Shashi’ includes twenty-two stories. , they are successful ones. It presents a wide face of the problem. Many other stories like – ‘Double Standards’, ‘Slide’, ‘The flower of Palash’, ‘False Vanity’ are related to dowry and other family problems of women. These stories suggest that inspite of so many changes, dowry is still a formidable social problem, just because of which ‘father’ in my story ‘Double Standards’ wants his daughter to be admitted in co-education college, so that she might choose some sweetheart there. ‘Slide’ and ‘‘False Vanity’’ are stories of determination of women and her desire of moving ahead.
In the stories of Dinesh Pathak there is a strong version of the restless soul of a person wandering between the city and the village, who left village in search of unemployment, economic deprivation and money. In ‘Unanswered’, ‘A Delimma’ and ‘Determination’ the soulful yearning for the economy of the individual and the adondoned village is present to the extent of poignancy. . . ,. The story paints a poignant picture of helplessness and heartiness. The urge to return to the village, the desire to do something for the village and the relatives living in the village and the compulsion to do nothing, connects these stories with the present reality.
वस्तुतः व्यंग्य का जन्म व्यक्तिगत, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक अथवा किसी न किसी परिस्थितिगत विसंगति से ही होता है। व्यंग्यकार का अंतस् जो होना चाहिए, उसके न होने से आहत होता ह
वस्तुतः व्यंग्य का जन्म व्यक्तिगत, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक अथवा किसी न किसी परिस्थितिगत विसंगति से ही होता है। व्यंग्यकार का अंतस् जो होना चाहिए, उसके न होने से आहत होता है, तभी वह उस विसंगति पर अपने लेखन से चोट करता है। उसकी इस चोट में एक ओर हास्य-व्यंग्य का आनन्द रहता है तो दूसरी ओर उस विसंगति के त्रास की सघन अनुभूति भी उजागर होती है जो पाठक को जागरूकतापूर्ण संदेश देती है, उसे झकझोरकर उसकी आँखें खोलती है। उसकी दृष्टि को उन अतल अंधकारों तक ले जाती है जहाँ सहज ही वह नहीं देख पा रहा है। व्यंग्यकार की सफलता इसी में है कि वह उन अतल अंधकारों को अपनी भाषा की सहज सम्प्रेषणीयता और संकेतात्मक षैली के माध्यम से किस कुशलता से आलोकित कर पाता है।इस संकलन का पहला व्यंग्य प्रख्यात व्यंग्यकार श्री श्रवण कुमार उर्मिलिया का है जिसमें उन्होंने दहेज की प्रतिस्पर्धा के परिणामों की ओर इशारा किया है। अपनी पत्रवधू जब दहेज लाई थी तो वह लक्ष्मी थी लेकिन जब अपने रिश्तेदार की पुत्रवधू उससे भी अधिक दहेज ले आई तो अपनी पुत्रवधू कुलक्षिनी हो गई।‘छोटके का मोलभाव’ व्यंग्य में लड़की के पिता के सामने ‘छोटके का मोलभाव’ तय करने के लिए पूरे गाँव के बुजुर्ग एकत्रित होते हैं। पूरा मोल-भाव होता है किन्तु अन्त में छोटका ही दहेज के विरुद्ध खड़ा हो जाता है। संकलन के दूसरे पूरे व्यंग्य में दहेज के सम्बन्ध में गाँव के निवासियों की एक-दूसरे से ईर्ष्याभाव और शिक्षित पीढ़ी के द्वारा दहेज जैसे कोढ़ से मुक्ति का प्रयास प्रकट किया गया है।संकलन के तीसरे व्यंग्य-‘राख की ढेरी’ में डॉ. अलका पाठक ने समाज के ऐसे रसूखदार व्यक्तियों के व्यक्तित्व पर करारा व्यंग्य
हिन्दी गद्य साहित्य की वह लघुत्तम रचना जो पाठक को कुछ ही पल में प्रभावित करने में और उसे गहरे तक सोचने पर विवश करने में समर्थ है वह है लघुकथा। चूँकि लघुकथा में कथानक के विस्तार की
हिन्दी गद्य साहित्य की वह लघुत्तम रचना जो पाठक को कुछ ही पल में प्रभावित करने में और उसे गहरे तक सोचने पर विवश करने में समर्थ है वह है लघुकथा। चूँकि लघुकथा में कथानक के विस्तार की गुंजाइश नहीं होती अतः कम से कम शब्दों में ही एक लघुकथाकार को अपनी पूर्ण बात कहनी होती है यानि गागर में सागर भरने जैसी प्रक्रिया। घर-आँगन से, खेत-खलिहान और नौकरी तक आज जीवन का कोई भी ऐसा कोना नहीं जहाँ लघुकथा ने न झांका हो। सुख-दुःख, मान-अपमान, उन्नति-अवनति हर स्थिति का वर्णन लघुकथा कर रही है। आज अनेक लघुकथाकार हैं जो लघुकथा लेखन के क्षेत्र में बहुत अच्छी पकड़ रखते हैं और अपनी प्रभावशाली लघुकथाओं के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं। इस संकलन में समाहित सभी लघुकथाएँ, दहेज सन्दर्भित लघुकथाएँ हैं जिन्हें लघुकथाकारों से विशेष आग्रह कर लिखाया गया है। इन लघुकथाओं में दहेज के विभिन्न रूपों का दिग्दर्शन पाठकों को होगा। सम्भव है इनके पढ़ने के बाद कुछ पाठकों को दहेज रूपी कोढ़ से विरक्ति हो और वे समाज में कुछ ठोस कदम उठाने की ओर अग्रसर हों।
हिन्दी कथा.साहित्य की आज सर्वाधिक प्रचलित एवं लोकप्रिय विधा है. लघुकथा। लगभग साढ़े चार दशक से देशभर की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्र.पत्रिकाओं में डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ की लघुकथ
हिन्दी कथा.साहित्य की आज सर्वाधिक प्रचलित एवं लोकप्रिय विधा है. लघुकथा। लगभग साढ़े चार दशक से देशभर की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्र.पत्रिकाओं में डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ की लघुकथाएँ निरन्तर प्रकाशित होती रही हैं। प्रस्तुत लघुकथा .संग्रह ‘सत्य का बोध’ डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ का प्रयोजनवती रचनाधर्मिता से परिपुष्ट एक ऐसा लघुकथा.संग्रह है जो जीवन का विभिन्न कोणों से अवलोकन करता हुआ दिखायी देता है। लघुकथा के मानक पर प्रस्तुत संकलन की अधिकांश लघुकथाएँ खरी उतरती हैं। दैनिक जीवन में प्रायः घटित मानव.व्यवहार की विसंगतियाँ तथा समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के आचरण की विद्रूपताएँ ही डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ की लघुकथाओं का आधार बनी हैं। इस संग्रह की अधिकांश लघुकथाएँ कथ्य और शिल्प की दृष्टि से सशक्त और उद्देश्यपूर्ण लघुकथाएँ हैं जो लेखक की सिद्धहस्तता को प्रमाणित करती हैं। एक ओर जहाँ अल्प पात्र. संख्याए लघुकथानक और संक्षिप्त संवाद. योजना जैसी शिल्पगत विशेषताएं समाहित हैं वहीं दूसरी ओर शैली की दृष्टि से संवाद. योजना में पात्रानुकूल भाषा का प्रयोग और शैली का सटीक संयोजन भी दृष्टव्य है इस संग्रह की लघुकथाएँ पाठक को कुछ सोचने पर अवश्य ही मजबूर करेंगीं. ऐसा पूर्ण विश्वास है। (डॉ.शील कौशिक)
‘‘मधु, तुम सुन रही हो न? तुम सुन रही हो न मेरी आवाज?’’ दरवाजे को दोनों हाथों से थपथपाते हुए मैंने खोलने की चेष्ट Read More...
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