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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहर किसी की ज़िन्दगी में कभी न कभी एक ऐसा वक़्त आता है जब ज़िन्दगी में किसी एक खास के लिए दिलचस्पी और अहमियत बढ़ जाती है। उस शख्स से बातें करना अच्छा लगता है, उसको देखना अच्छा लगता है, उस से उम्मीद बन जाती है। उसके सिवा न कुछ दिखाई देता है न कुछ सुनाई देता है , हर वक़्त ध्यान उसी में रहता है, उसी का हर पल ख़्याल रहता है।
लेकिन कहानी यहाँ शुरू नहीं होती। कहानी तब शुरू होती है जब उम्मीद टूटने लगती है। जो दिल लगाया था अब वो टूट रहा है , कोई पास आकर छूट रहा है। उसका होकर भी दिल उसका होता नहीं , एक पल लगता है छोड़ दूँ उसे अगले पल लगता है उसके सिवा कुछ नहीं मेरा। इस किताब में ऐसे ही कुछ ख़्यालों और सवालों को खूबसूरत लफ़्ज़ों में शायरी स्वरुप में बयान किया है।
रोहित मनचंदा
लेखक रोहित मनचंदा पेशे से जेवेलरी रिटेल प्रोफेशनल है। पिछले 6 साल से वो जेवेलरी सेक्टर में कार्यरत है। वो एक MBA ग्रेजुएट है। लिखने का शौंक उन्हें अपने कॉलेज के दिनों से है। शायरी लिखने में उनकी गहन रूचि है। सिर्फ शौंक के लिए लिखते हुए , लोगों के प्रोत्साहन से उन्होनें अपनी शायरी को एक मंच देने का सोचा। पहली बार एक अन्थोलॉजी में अपनी शायरी पब्लिश करने के बाद उन्होनें अपनी पूरी किताब लिखने का सोचा।
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