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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palलेखक की क़रीब सौ ग़ज़लों और नज़्मों के इस मेले में ग़ज़ल को ज़िन्दगी में और ज़िन्दगी को ग़ज़ल में उतारने की कोशिश की गई है। ये ग़ज़लें इंसानी ज़िन्दगी के रूहानी पहलुओं को बयाँ करते हुए दस्तावेज हैं। इसमें देशभक्ति और आध्यात्मिक आयामों को भी छुआ गया हैI
बंदूक़ के शोलों ने नहीं इसको सिला है
इस मुल्क के धागे बस मोहब्बत के मिलेंगे
दुनिया का कोई सा भी चमन घूम लीजिए
खिलते गुलाब आपको भारत के मिलेंगे
***
माँ की रही, बेटे पे, बचपन में हुकूमत पर
दादी बनी तो उस पर नाती की हुकूमत है
ना तेल, ना ही उसको दिखती दियासलाई
आतिश समझ रही है बाती की हुकूमत है
तुर्बत में उतारे गए जब बादशाह सलामत
मालूम हुआ, माटी पे माटी की हुकूमत है
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शुभ चिंतन
लेखक IRS ( customs and indirect taxes ) अधिकारी हैं I. लेखक ने इंजीनियरिंग की शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और IIT दिल्ली से प्राप्त की। लेखक को उनकी असाधारण कर्तव्यनिष्ठा एवं विशिष्ट सेवाओं के लिये गणतंत्र दिवस, 2014 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा और सीमा शुल्क प्रशासन में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिये विश्व सीमा शुल्क संगठन के महासचिव द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है।
लेखक का यह आठवां कविता संग्रह है। इससे पहले उनके सात संग्रह, ‘ओट से मन दिखता है’, ‘मटकिया भरी नहीं’, ‘मिसरा मिसरा ग़ज़ल आशिकाना हुई’, ‘संवाद राम और कान्हा से’, ‘एक इन्द्रधनुष शतरंगी’, ‘एक मंगलयान कविताओं का’ तथा ‘बुलबुले तसव्वुर के’ प्रकाशित हो चुके हैं।
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