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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआरटीआई अधिनियम को लागू हुए 16 साल बीत चुके हैं, लेकिन हमारे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा, अभी भी, इस कानून से अनजान है। जो जागरूक हैं, उनमें से केवल कुछ ही नागरिक आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के बारे में अच्छी समझ रखते हैं।
सरकारी कार्यालयों में, आरटीआई अनुरोधों को संभालने के लिए, लोक सूचना अधिकारियों को नामित किया गया है, लेकिन इस विषय पर उचित प्रशिक्षण की कमी के कारण, वे अक्सर अधिनियम द्वारा निर्धारित किए गए तरीके से अनुरोधों का निपटान करने में विफल रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में अपीलें दायर होती हैं, जो सूचना आयोगों में आरटीआई के लंबित मामलों की संख्या को बढ़ाती हैं, और इस प्रकार, आरटीआई अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पाती है।
इस पुस्तक में अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने की विस्तृत प्रक्रिया दी हुई है। इसमें आरटीआई अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के सही अर्थों को समझाने के लिए कोर्ट के फैसले भी शामिल हैं। सरल शब्दों में, यह पुस्तक, आरटीआई आवेदकों के साथ-साथ लोक सूचना अधिकारियों, दोनों के लिए ही, एक ऐसी गाइडबुक है जो यह समझाती है कि अधिनियम के तहत किस प्रकार की सूचना प्राप्त/ प्रदान की जा सकती है।
देवेन्द्र कुमार सिंह
आईआईटी कानपुर से एम.टेक. स्नातक देवेंद्र ने जरूरतमंद लोगों के बीच आरटीआई के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ष 2013 में अपने इंजीनियरिंग करियर को छोड़ दिया था। वर्ष 2007 से आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने सैकड़ों लोगों की, उनके अधिकारों का प्रयोग करने में मदद की है। पिछले 5 वर्षों में, उन्होंने एटीएम / बैंकिंग धोखाधड़ी के दर्जनों पीड़ितों को आरटीआई अधिनियम का उपयोग करके उनकी मेहनत की कमाई वापस दिलाने में मदद की है।
वर्ष 2015 से, देवेंद्र कॉलेजों / विश्वविद्यालयों / एनजीओ और सरकारी विभागों में आरटीआई पर प्रशिक्षण / व्याख्यान दे रहे हैं। वर्ष 2019 में, उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सेमिनार में आरटीआई पर व्याख्यान दिया था। उन्हें rtidevendra@gmail.com पर ईमेल किया जा सकता है।
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