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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"शिवाम्बु- जीवन का अमृत" पुस्तक स्वस्थ जीवन बनाए रखने के लिए और उत्कृष्ट स्वास्थ्य प्राप्त करने के रहस्यों से संबंधित जानकारी मुहैया कराने के उद्देश्य से लिखी गई है। "शिवाम्बु, जिसे मूत्र चिकित्सा के रूप में जाना जाता है" सभी प्रकार के पुराने रोगों को ठीक करने की पूरी तरह से दवा-रहित प्रभावी प्रणाली है।
शिवाम्बु - मूत्र चिकित्सा उपचार की प्राचीन पद्धति है जो पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है। उपचार के इस शक्तिशाली अभ्यास का उल्लेख "शिवाम्बु कल्प विधि" में किया गया है, जो वेदों में दमर तंत्र नामक 5000 साल पुराने दस्तावेजों का हिस्सा है। यह योग अभ्यास की प्राचीन पद्धति भी है।
मूत्र जिसे "शिवाम्बु" कहा गया है, एक पवित्र द्रव है। उनके अनुसार मूत्र, दूध से भी अधिक पौष्टिक होता है।
“शिवाम्बु– स्वयं की मूत्र चिकित्सा” एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जिसकी सलाह भगवान शिव ने दी थी। वह भारत में सदियों से प्रचलित है और अब पूरे विश्व में लोग इसे अपना रहे हैं।
मूत्र रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और बीमारियों को ठीक करता है। यह कोरोना वायरस, कैंसर, एचआईवी, मधुमेह और A से Z तक सभी बीमारियों से बचाता है, नियंत्रित करता है और उपचार करता है।
जगदीश आर. भुरानी
1993 में, जगदीश आर. भुरानी ने अपनी पत्नी के साथ गोवा में आयोजित पहले "अखिल भारतीय मूत्र चिकित्सा सम्मेलन" में भाग लिया। उसके बाद लेखक ने शिवाम्बु, के लाभ प्राप्त करने के लिए उचित पद्धति एवं तकनीक पर शोध किया।
लेखक ने विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित लोगों की मदद करने के लिए नि:शुल्क समाज सेवा के साथ मूत्र चिकित्सा के लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करने के मिशन की शुरुआत की।
उन्होंने कोविड-19, कैंसर, एचआईवी, मधुमेह और कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हज़ारों लोगों का उपचार किया। उन्होंने 100 से अधिक साक्ष्य इस पुस्तक में प्रकाशित किए हैं, जो भारत, अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों से प्राप्त हुए।
उक्त साक्ष्य इस बात के सिद्ध एवं जीवित प्रमाण हैं कि मूत्र चिकित्सा हर प्रकार की बीमारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वव्यापी उपचार पद्धति है।
लेखक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, NICO, ICMR, WHO और कई स्वास्थ्य विभागों को पत्र लिखे। उन्होंने अपनी पुस्तक "शिवाम्बु- जीवन का अमृत" में पत्रों की प्रतियां संलंग्न की हैं। लेखक की राय है कि सरकार शिवाम्बु- मूत्र चिकित्सा को प्रोत्साहित कर अरबों रुपए और करोड़ों जीवन बचा सकती है।
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