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Premyog / प्रेमयोग कविताएं जो खुद से प्रेम करना सिखाए

Author Name: Mukesh Kumar Soni | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

प्रेम का स्वरूप जैसा भी हो, चाहे वह व्यक्ति विशेष हो या वस्तु विशेष, उसमें यदि गहराई हो तो वह योग बन जाता  है। मैंने इसे स्वयं अनुभव किया और प्रेम योग का निर्माण हुआ। यही प्रेम-योग आज आत्म योग के लिए अग्रसर है जिसके लिए मैं प्रयासरत हूँ।यदि व्यक्ति में गहराई हो तो उसमें अवश्य ही आत्म-योग घटित होगा, मेरी अटूट आस्था है।

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मुकेश कुमार सोनी

बेटा,पति,पिता,भाई और योग प्रशिक्षक के रूप में मुकेश कुमार सोनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित योग प्रशिक्षक के रूप आत्मा योग का प्रचार-प्रसार कर रहे अटूट आस्था आत्म योग संस्थान में योग शिक्षक के रूप में कार्यरत है।

इनके माता-पिता क्रमशः श्रीमती पुतुल सोनी और श्री दूधनाथ सोनी है। इनकी संगिनी लोपामुद्रा सोनी एवं पुत्र अटूट कुमार सोनी है जो इनके हर कार्य में सहभागी है। इन्होंने  योग में एम.ए. जैन विश्व भारती संस्थान से किया। इन्होंने हिंदी में भी एम.ए. इग्नू से किया। इन्होंने रामकृष्ण मिशन विवेकानंद इंस्टीट्यूट से योगा में डिप्लोमा भी किया। योग से संबंधित शास्त्रों में इनकी अभिरुचि रही इस कारण इन्होंने योग की शिक्षा लोगों को देने का निश्चय किया जिसके लिए उन्होंने आत्म योग के प्रारूप का निर्माण किया।  आत्म योग से काफी लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

इनकी कविताओं का प्रकाशन 2,000 से 2006 तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं  में होती रही है। इनके द्वारा 2004 से 2006 तक साहित्यिक मासिक पत्रिका अटूट आस्था का संपादन किया गया। जैमिनी आकादमी द्वारा अटूट आस्था की सेवा हेतु इन्हें संपादक रत्न से सम्मानित किया गया।

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