You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palदुबई की पृष्ठभूमि पर रचा उपन्यास ‘निर्जल सरसिज’ माँ बेटी के संबंधों की गंभीर पड़ताल करता है। इसमें तीन माँ-बेटी की कहानी आगे-पीछे और कभी साथ-साथ चलती है। श्यामला-नलिनी, नलिनी-अनुष्का तथा दीत्यांगना-ऋतम्भरा माँ बेटियों की सर्वथा भिन्न कहानियाँ अपनी-अपनी अलग त्रिज्या और व्यास से गढ़ी, अपनी परिस्थितियों की परिधि में घूमती हुई एक बिंदु पर आ टकराती हैं। मुख्य पात्र नलिनी एक ऐसी बेटी है जिसे सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं मिला। जिसने बहुत कुछ खोकर बहुत थोड़ा पाया और उसमें संतोष किया। अपना कोई घर नहीं और इस घर से उस घर घूमती नलिनी पर अपनी सोच अपने विचार पनपने से पहले ही मजबूरियाँ उस पर हावी हो गईं। वह एक ओर जाती तो उसे दूसरी राह दिखती और दूसरी ओर जाती तो पहली राह बताई जाती। इतना कुछ हो जाने पर भी उसके चेहरे पर न शिकन ही उभरी, न स्वर में आह ही। उसके धैर्य, विवेक, समर्पण और सूझ-बूझ ने उसके जीवन को सँवारने में मदद की। उसके अनगढ़ जीवन को संबल मिला उसकी अपनी बेटी से और वह अपनी माँ को समझने में सफल रही। इतना ही नहीं अपनी परम मित्र और आदर्श के विचार सिरे से बदलने में उसने बड़ी भूमिका निभाई।
डॉ. आरती 'लोकेश'
डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने अंग्रेज़ी साहित्य मास्टर्स में कॉलेज में द्वितीय स्थान तथा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि ली। तीन दशकों से शिक्षाविद डॉ. आरती ‘लोकेश’ शारजाह में वरिष्ठ प्रशासनिक अध्यक्ष हैं और साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं।
बीस वर्षों से दुबई में बसी डॉ. आरती ‘लोकेश’ द्वारा रचित 10 पुस्तकें प्रकाशित हैं। दो उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’, तीन काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’ ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’, दो कहानी संग्रह ‘साँच की आँच’ व ‘कुहासे के तुहिन’, कथेतर गद्य-संग्रह ‘कथ्य अकथ्य’, यात्रा-संस्मरण ‘झरोखे’। शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य और सामाजिक चेतना’ से बहुत से शोध-छात्र लाभ उठा रहे हैं। इनके साहित्य पर पंजाब व हरियाणा के विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया जा रहा है।
वे यू.ए.ई. के बच्चों की पहली पुस्तक ‘होनहार बिरवान’ की संकलेता, प्रणेता व संपादक हैं। यू.ए.ई. की पहली हिंदी पुस्तक ‘सोच- इमाराती चश्मे से’ तथा ‘डॉ. मंगलेश : काव्य एवं साहित्य चिंतन’ की संपादक हैं। 'अनन्य यू.ए.ई.' पत्रिका की मुख्य संपादक होने के साथ-साथ वे ‘श्री रामचरित भवन ह्यूस्टन’ की सह-संपादिका तथा ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्न्स’ की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संपादक हैं। प्रणाम पर्यटन पत्रिका की विशेष संवाददाता यूएई हैं। टैगोर विश्वविद्यालय ‘विश्वरंग महोत्सव’ की यू.ए.ई. निदेशिका, ‘विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस’ की यू.ए.ई हिंदी दिवस 2021 समन्वयक हैं।
उनकी कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ‘शोध दिशा’, ‘इंद्रप्रस्थ भारती, ‘गर्भनाल’, ‘वीणा’, ‘परिकथा’, ‘दोआबा’ तथा ‘समकालीन त्रिवेणी’, ‘साहित्य गुंजन’, ‘संगिनी’, ‘सृजन महोत्सव’, ‘विश्वरंग’, ‘21 युवामन की कहानियाँ’, ‘कथारंग’ तथा ‘सोच’ में प्रकाशित हुई हैं। आलेख: ‘खाड़ी तट पर खड़ी हिंदी’ ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’ तथा सांस्कृतिक आलेख ‘वीणा’ में जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। यात्रा संस्मरण- ‘प्रणाम पर्यटन’ नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुए। शोध-पत्र, लेख, लघुकथाएँ एवम् कविताएँ आदि विभिन्न साझा-संग्रहों में प्रकाशित हुईं।
उन्हें 'शब्द शिल्पी भूषण सम्मान', 'प्रज्ञा सम्मान', ‘निर्मला स्मृति हिन्दी साहित्य रत्न
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.