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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह पुस्तक लेखिका की सर्वप्रथम प्रकाशित पुस्तक है जिसमें उन्होंने विभिन्न समय पर लिखे गए अपनी कुल 18 कहानियों का संग्रह प्रस्तुत किया है। ये वे कहानियाँ है जो पहले हिन्दी ब्लाग में प्रकाशित हो चुकी हैं और पाठकों द्वारा सराहा भी गया।
इन कहानियों का केन्द्रीय विषय प्रेम ही है जो अकसर अनकहा है परंतु कहानी के अंत तक जिसको अपनी मंजिल मिल जाती हैं। कुछ कहानिया वियोगात्मक अंत वाली भी हैं। परंतु इन कहानियों के पात्र अत्यंत खास हैं। वे नित्य संघर्षरत हैं। अकसर हालात को अपनी तरफ झुका ही लेते हैं।
कहानियों की भाषा जानबूझकर सीधी और सपाटबयानी रखी गई है ताकि केवल विद्वजन ही नहीं थोड़ा बहुत हिन्दी जानने वाले भी इसका भरपूर आनंद उठा सकें।
मौमिता बागची
आपका जन्म सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में कलकत्ता में हुआ था। परंतु इनका बचपन अपने दादा के घर पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगने जिले के काकिनाड़ा में बीता। इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कांकिनाड़ा स्थित केन्द्रीय विद्यालय में हुई। वहीं कक्षा सातवी तक पढ़ने के पश्चात ये अपनी माता-पिता के साथ साल्ट लेक, कलकत्ते में चली आई। यहीं रहकर केन्द्रीय विद्यालय साल्ट लेक से इन्होंने दसवीं और बारहवी कक्षाएं पास की। तदनन्तर इन्होंने हिन्दी स्नातक की पढ़ाई प्रेसीडेन्सी कालेज से पूरा किया और कलकत्ता विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य मे स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसी समय इन्होंने रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय से हिन्दी अनुवाद का डिप्लोमा भी प्राप्त किया।
इसके उपरांत इन्होंने दामोदर घाटी निगम, मैथन बांध में कुछ समय तक राजभाषा विभाग में कनिष्ठ हिन्दी अधिकारी का पदभार संभाला। इसके अनन्तर विवाह के पश्चात् ये दिल्ली आ गई। दिल्ली में नवोदय विद्यालय समिति के मुख्यालय में इन्होंने कुछ समय के लिए हिन्दी अनुवादक का कार्य किया।
आजकल ये दिल्ली में ही रहती हैं। और स्वतंत्र लेखन के प्रति इनकी अभिरुचि परिलक्षित होती है।
साहित्य के प्रति इनकी रुचि बचपन से ही रही है। हिन्दी, अंग्रेजी और मातृभाषा बंगला तीनों ही भाषाओं के साहित्य का अध्ययन इन्होंने किया है। पिछले कुछ महीनों से हिन्दी ब्लाॅग और पत्रिकाओं में इनके लेख प्रकाशित हो चुके हैं। लेखन के अलावा कत्थक नृत्य में भी इनकी रुचि हैं। और उसका ये नियमित प्रशिक्षण ले रही हैं
कुछ अनकहे अल्फाज, कुछ अधूरे ख्वाब इनकी पहली पुस्तक है जिसमें इन्होंने अपनी पंद्रह कहानियों का संकलन प्रस्तुत किया है। मानवीय संपर्क और मूल्यों को दर्शाती इन कहानियों की धुरी तो यद्यपि प्रेम है और वे मिलनातंक भी है कहीं कहीं लेकिन उस अंत तक पहुंचने के लिए उन्हें संघर्ष के मध्य से होकर गुजरना पड़ा है। अपने पात्रों के बारे में इनका कहना है, "कहते हैं कि कुत्ता इंसान को काटता है तो वह आम बात हैं, मगर जब इंसान कुत्ते को काटे तो एक कहानी जन्म लेता है।मेरी कहानियों के किरदार इस दूसरी श्रेणी से ताल्लुक रखनेवाले लोग हैं। वे लीक पकड़कर चलनेवाले जीव नहीं बल्कि लीक तोड़कर चलने के आदि है।"
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