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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palराजेश जी की नई किताब– जय माता दी…, माताजी के प्रति समर्पण और मानव कल्याण से जुड़े अपने सभी दावों को पूरा करती है। लेखक ने विचारों में स्पष्टता बनाए रखी है और हमारी दुनिया में आज महामारी का रूप ले चुकीं कई महत्वपूर्ण समस्याओं का बिल्कुल नए दृष्टिकोण से समाधान प्रस्तुत किया है। ये समाधान बहुत व्यावहारिक भी हैं। इनके सबसे अच्छे अध्यायों में से एक अध्याय की शुरुआत एक दिलचस्प प्रश्न का उत्तर खोजने से होती है– क्या हिटलर यीशु मसीह के जैसा बन सकता था, यदि उसे पता होता कि कैसे, तो? इन्होंने अपनी किताब में, हमें दुख क्यों होता है? और जीवन सुधा क्या है?, जैसे प्रश्नों का भी उत्तर दिया है।
किताब में सामाजिक समस्याओं, बेरोजगारी और भारत की गरीबी की समस्याओं की पड़ताल की गई है और सीरिया में जारी युद्ध और ऐसे ही अन्य युद्धों के बीच विश्व में शांति स्थापित करने के तरीकों, हमारी आधुनिक शिक्षा प्रणालियों की असफलता, पर सवाल उठाया गया है। इसमें आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ स्वास्थ्य एवं रोग प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) के बारे में चर्चा की है। हमारी धरती माँ को संकट में डालने वाले पर्यावरण और मानवता के लिए महत्वपूर्ण कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की है।
राजेश ने अपने नवीन समाधानों एवं विचारों को प्रस्तुत किया है। इनका मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण को बढ़ावा देना और मनुष्यों के दुखों को कम या समाप्त करना है। निश्चित रूप से हमारे समाज को अपने विचारों एवं भावनाओं का मूल्यांकन करना होगा। आप सभी को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए। इसमें मूलभूत समस्याओं का बहुत अच्छा समाधान दिया गया है। इन्हें अपनाए जाने और इनकी मदद से समस्याओं को दूर करने के लिए समाधानों को बहुत ही साधारण शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। सच कहें तो, एक प्रेरक पुस्तक जिसमें लागू करने लायक अनेक व्यावहारिक समाधान दिए गए हैं।
राजेश डी सांघवी
श्री राजेश डी सांघवी एक प्रतिष्ठित व्यवसायी हैं। इन्होंने लंदन, यू.के. से डबल पोस्टग्रेजुएशन किया है। मुख्य विषय मार्केटिंग और फाइनेंस थे। इन्हें 25 वर्षों से अधिक का कार्यानुभव है और ये अपनी जानी–मानी कंपनी– ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड के ऑटोमोबाइल वितरण व्यापार में उपाध्यक्ष (वाइस प्रेसिडेंट) के पद पर काम करते हैं। वेबसाइटः (Automotiveml.com)। श्री सांघवी को अपनी कंपनी द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों के आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय उत्कृष्टता पुरस्कार मिल चुके हैं। इनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
राजेश ,बहुत छोटी सी उम्र में हीं स्वामी विवेकानंद और उनके उपदेशों से बहुत प्रभावित हो गए थे। इसके बाद वे ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वसुदेव से भी प्रभावित हुए। इसी फाउंडेशन में इन्होंने योग एवं ध्यान की शिक्षा प्राप्त की। अपने कारोबार को संभालते हुए ये ईशा फाउंडेशन के स्वयंसेवक (वालंटियर) बन गए। स्वयंसेवक (वालंटियर) के रूप में इन्होंने कोयंबटूर के वेल्लिंगिरी हिल्स पर बने ईशा आश्रम में आदियोगी के लिए आयोजित की गई सप्त ऋषि पूजा को पूर्ण करने में मदद की। इन्होंने आश्रम में सेवा कर और धन–जुटाने की गतिविधि में शामिल होकर महाशिवरात्रि महोत्सव के आयोजन में भी सहयोग दिया। इनकी सेवा भाव को स्वयं सद्गुरु ने स्वीकार किया और व्यक्तिगत रूप से एवं अपने हाथों से लिखे पत्र के माध्यम से ईश्वरीय प्रेम के साथ राजेश जी को आशीर्वाद दिया। अपने शुरुआती दिनों में ये अम्बे माँ के भक्त थे और इन्होंने बचपन से ही माता जी की पूजा और सेवा की है। इस सेवा भाव ने इन्हें आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी और मानव कल्याण पर उनके द्वारा लिखी गई इस पुस्तक का प्रेरणा स्रोत भी माताजी के प्रति इनकी प्रगाढ़ भक्ति ही है।
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