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Chintan Manan / चिंतन मनन 'Bhaag 1' / 'भाग 1'

Author Name: Akshay Chandra Sharma | Format: Hardcover | Genre : Self-Help | Other Details

चिंतन मनन के माध्यम से प्रयास कुछ ऐसा कहने का है जो उजला हो, मधुर हो, सहज सरल हो, प्रेरक हो, उद्‌बोधक और हृदय ग्राह्म हो। मधु मधुर हो और पीयूष सा हितकारी भी हो। बातें वे ही पुरानी - इतिहास की, सन्तों की, कवि-कोविन्दों और लोकमानस की - उसे जरा बदल कर, नया बना कर, सुपाच्य बना कर नयी कथन भंगिमा से प्रस्तुत करने का यह एक विनम्र प्रयास है। असल में इस तुमुल कोलाहल कलह में 'चिंतन-मनन' सहृदयों को यों भाता है - जैसे 'कामायनी' कार के शब्दों में 'तपन में शीतल मंद बयार' हो! आशा है, यह 'चिंतन-मनन' जीवन में आशा की नई किरण लिये प्रोद्भासित होगी।

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अक्षयचंद्र शर्मा

स्व. श्री अक्षयचंद्र शर्मा का जन्म लाडनूं, राजस्थान में अक्षय तृतीया वि. संवत १९७४ को हुआ था। आपका कार्यक्षेत्र प्रमुखतः लाडनूं, लाहौर, जोधपुर, गंगानगर, बीकानेर, काशी, प्रयाग, आगरा व कलकत्ता रहा है। आपने विशाल भारत, वीणा, हिंदुस्तानी, कल्याण, मरू भारती, हिंदुस्तान, धर्मयुग, प्रजासेवक व जनसत्ता जैसे विभिन्न दैनिक एवं साप्ताहिक प्रकाशनों के लिए लेखन किया है। आपने श्रीरामगीता गौरव, रामस्नेही संप्रदाय, तपोनिष्ठ भारत, श्रद्धावाँल्लभते, गीता पुष्पिका: एक परिशीलन, तीन बाल नाटक, राजस्थान की अस्मिता, पृथिवी धारयन्ति, कविता संकलन व भारत विभूतियाँ जैसी अनेक पुस्तकों की रचना की है। आपने भारतीय विद्या भवन के आमंत्रण पर स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन व लंदन में 'आज के परिप्रेक्ष्य में रामायण' पर वक्तृता की है।

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