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Ashrut Shravya / अश्रुत श्रव्य अवर्णित वर्णों की अनसुनी वर्णलहरी

Author Name: Dr. Arti 'Lokesh' | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

अश्रुत श्रव्य' कथेतर गद्य की विविध विधाओं में लिखी गई 31 रचनाओं का संकलन है। इनमें शोध पत्र, शोधपरक आलेख,  तथ्यात्मक लेख, भ्रमण वृत्तांत, साक्षात्कार, पत्र, संवाद, भेंटवार्ता, साक्षात्कार, मीमांसा, पुस्तक समीक्षा,  पुस्तक भूमिका, रिपोर्ताज, प्रस्तावना, सम्पादकीय, टिप्पणी, अनुवाद, भाषण व परिचर्चा आदि को स्थान मिला है। ये विधाएँ कल्पना,  गल्प, और स्वप्न की बजाय यथार्थ के बीज से तथ्यों की ठोस भूमि पर विवेक की उर्वरा से भाषा की सम्पन्नता के पुष्पों से पल्लवित होती हैं। शोध पत्रों के अतिरिक्त भी सभी विधाएँ गहन अध्ययन, सूक्ष्म अन्वेषण और सम्पूर्ण गवेष्णा की माँग करती हैं। इन विधाओं में लेखन एक साहसिक और दुष्कर कार्य है। कथेतर विधाओं की कमी को पूरा करती हुई यह पुस्तक आपको दुबई, यू.ए.ई. (संयुक्त अरब अमीरात) के बहुत से तथ्यों से परिचित करा जाएगी। पुस्तक स्मृतिशेष चाचाश्री डॉ. देवेंद्र कुमार गुप्ता जी को समर्पित है। यूक्रेन के परमज्ञानी हिंदी पुरोधा आदरणीय डॉ. यूरी बोत्विन्किन जी ने पुस्तक की भूमिका लिखी है तो चीन में हिंदी प्राध्यापक व विद्वान डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी जी ने प्रस्तावना लिखी है। कथेतर रचनाओं का संकलन होने के कारण विषयवस्तु के चयन में बहुत सावधानी बरती गई है। ‘अश्रुत श्रव्य’ में संकलित करने के लिए ध्यानपूर्वक कथेतर गद्य की अनेक विधाओं की रचनाओं का चयन किया गया है। गद्याध्येताओं के लिए यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।

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डॉ. आरती 'लोकेश'

डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने अंग्रेज़ी साहित्य मास्टर्स में कॉलेज में द्वितीय स्थान तथा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि ली। तीन दशकों से शिक्षाविद डॉ. आरती ‘लोकेश’ शारजाह में वरिष्ठ प्रशासनिक अध्यक्ष हैं और साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं। 

बीस वर्षों से दुबई में बसी डॉ. आरती ‘लोकेश’ द्वारा रचित 14 पुस्तकें प्रकाशित हैं। चार  उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’, ‘निर्जल सरसिज’,  'ऋतम्भरा के सौ द्वीप'; चार काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’ ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’,  'षड्गंधा'; दो कहानी संग्रह ‘साँच की आँच’ व ‘कुहासे के तुहिन’, कथेतर गद्य-संग्रह ‘कथ्य अकथ्य’, यात्रा-संस्मरण ‘झरोखे’; शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य और सामाजिक चेतना’; तीन संपादित: ‘सोच इमाराती चश्मे से’, ‘होनहार बिरवान’, ‘डॉ. अशोक कुमार मंगलेश : काव्य एवं साहित्य चिंतन’। इनके साहित्य पर पंजाब, उड़ीसा व हरियाणा के विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया जा रहा है व यूक्रेन में कहानियों पर शोध हो चुका है।

'अनन्य यू.ए.ई.' पत्रिका की मुख्य संपादक होने के साथ-साथ वे ‘श्री रामचरित भवन ह्यूस्टन’ की सह-संपादिका तथा ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्न्स’ की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संपादक हैं। प्रणाम पर्यटन पत्रिका की विशेष संवाददाता यूएई हैं। टैगोर विश्वविद्यालय ‘विश्वरंग महोत्सव’ की यू.ए.ई. निदेशिका, ‘विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस’ की यू.ए.ई हिंदी दिवस 2021 समन्वयक हैं। 

उनकी रचनाएँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं  ‘शोध दिशा’, ‘इंद्रप्रस्थ भारती, ‘गर्भनाल’, ‘वीणा’, ‘परिकथा’, ‘दोआबा’, ‘समकालीन त्रिवेणी’, ‘साहित्य गुंजन’, ‘संगिनी’, ‘सृजन महोत्सव’, ‘साहित्य त्रिवेणी’, ‘प्रणाम पर्यटन’, ‘अक्षरा’, ‘नवचेतना’, ‘बाल किरण’, ‘अभिव्यक्ति’, ‘अनुभूति, ‘सौरभ’, ‘मुक्तांचल’, ‘विश्वरंग’, ‘कथारंग’, ‘विवशता’, ‘रिश्ता’, ‘सोच’, ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’, ‘वीणा’ ‘गृहस्वामिनी’,  ‘साहित्य कुञ्ज’, ‘लेखनी’, ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल साइंसेज’, ‘सेतु’, ‘अनुकर्ष’ ‘पुरवाई’, ‘वसुधा’ ‘

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