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A Jeevan Kanha tere Naam / ए जीवन कान्हा तेरे नाम

Author Name: Bharat Singh Bhoi | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

ऐसी कौन सी घड़ी है, जो उसने मुझे संभाला नहीं, वृंदावन दूर हो सकता है, वृंदावन वाला नहीं।।

पाने को ही प्रेम कहे, जग की ये है रीत, प्रेम का सही अर्थ समझायेगी राधा-कृष्णा की प्रीत।

धागो से मोतीयो को तोडा नहीं करते, धर्म से मुँह कभी मोड़ा नहीं करते ,

बहुत कीमती है नाम श्री राधेकृष्ण का , जय श्री राधेकृष्ण बोलना कभी छोड़ा नहीं करते।।

धर्म का प्रवेश पहले काया में फिर वचन में और अन्त में मन में होता है,

जब कि

पाप का प्रवेश प्रथम मन में, फिर वचन में और अन्त में काया में होता है ।

जिसका देह और मन शुद्ध न हो उसका मंदिर में जा कर पूजा करना व्यर्थ है !

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भारत सिंह भोई

मेरे जीवन का एक ही लक्ष्य है और उस लक्ष्य को पूरा करना ही मेरी साधना मैं ज्यादा तो कुछ नहीं कहता बस जिसको मन में बैठाना है बैठा लेता हूं और जिसको निकालना है निकाल कर फेंक देता हूं
 मेरे द्वारा जो भी कार्य किए जाते हैं वह किसी ना किसी उद्देश्य  कार्य में छुपा रहता है इसलिए सभी से आग्रह करता हूं टाइम एंड ट्रेवल यह मेरी फेमस पुस्तक है एक बार जरूर पढ़ें

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