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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
पथ प्रेम समर्पण का प्रियतम
संग संग हमको चलना होगा
मैं सीता सी बन जाऊँ अगर
क्या रघुवर तुम बन पाओगे ?
क्या राम की तरह जी पाओगे ?
कहो क्या एक पत्नी व्रत निभाओगे
नही कर सकते ऐ
पथ प्रेम समर्पण का प्रियतम
संग संग हमको चलना होगा
मैं सीता सी बन जाऊँ अगर
क्या रघुवर तुम बन पाओगे ?
क्या राम की तरह जी पाओगे ?
कहो क्या एक पत्नी व्रत निभाओगे
नही कर सकते ऐसा तुम प्रियतम,
सीता तो मिल जाती है कई
पर राम बनना आसान नही
मर्यादा क्या तुम कोई निभा पाओगे ?
क्या राम तुम बन पाओगे ?
खूब तप कर हमने,
कदम आगे बढ़ायें हैं,
जूझे जब भी लहरों से,
किनारे पास ही आये हैं।
जब भी कारण, अकारण, ,
पूरी नहीं होती जब चाहत,
तो अंतर्मन की ताकत,
ही देती खूब राहत।
खूब तप कर हमने,
कदम आगे बढ़ायें हैं,
जूझे जब भी लहरों से,
किनारे पास ही आये हैं।
जब भी कारण, अकारण, ,
पूरी नहीं होती जब चाहत,
तो अंतर्मन की ताकत,
ही देती खूब राहत।
कहानियां वही जो दिल को छू जाएँ और बार - बार पढ़ने को जी ललचाये।
ऐसी रोचक कहानियां जिनको पढ़के मन हर्षित हो जाये।
कहानियां वही जो दिल को छू जाएँ और बार - बार पढ़ने को जी ललचाये।
ऐसी रोचक कहानियां जिनको पढ़के मन हर्षित हो जाये।
G20 का गठन वर्ष 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को प्रभावित किया था।
इसका उद्देश्य मध्यम आय वाल
G20 का गठन वर्ष 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को प्रभावित किया था।
इसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना है।
साथ में G20 देशों में दुनिया की 60% आबादी, वैश्विक जीडीपी का 80% और वैश्विक व्यापार का 75% शामिल है।
G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
ख्वाबो में देखे कुछ लम्हो को शब्दों का रूप...
सुहाने मौसम में तेरी गोद मे सर रख के सो जाऊ,
वो समय वही पर रुक जाए और मैं ख्वाबो में खो जाऊ।
तू मदमस्त बेफिक्र अपना पल्लू लहराए,
और
ख्वाबो में देखे कुछ लम्हो को शब्दों का रूप...
सुहाने मौसम में तेरी गोद मे सर रख के सो जाऊ,
वो समय वही पर रुक जाए और मैं ख्वाबो में खो जाऊ।
तू मदमस्त बेफिक्र अपना पल्लू लहराए,
और बस मैं तुझमे घुल के सो जाऊ ।
"""जब एक लड़के की जिंदगी में कोई लड़की आती है """"
मिल गयी है मुझे वो मल्लिका, जो मेरे हक़ में कलमा पढ़ा करेगी।
जाएगी हर मंदिर - मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च, करेगी कुछ भी
लेकिन दुआ बस मेरे लिए करेगी।
जागो जागो भारतवासी,
पर्यावरण की चाह में।
कटते जाते पेड़ सभी,
उसे रोकना काम तेरा।
दिन-रात धरती पर तपन बढ़ी,
बारिश का नहीं है अता पता।
पेड़ काट काट कर मानव ने,
धरती को तब
जागो जागो भारतवासी,
पर्यावरण की चाह में।
कटते जाते पेड़ सभी,
उसे रोकना काम तेरा।
दिन-रात धरती पर तपन बढ़ी,
बारिश का नहीं है अता पता।
पेड़ काट काट कर मानव ने,
धरती को तबाह किया।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी,
लाड़ - लड़ाती ह्रदय दुलारी।
बाल ना बांका हो ना कभी,
खेले जीवन लंबी पारी,
सुंदरता की छटा - निराली।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी,
लाड़ - लड़ाती ह्रदय दुलारी।
बाल ना बांका हो ना कभी,
खेले जीवन लंबी पारी,
सुंदरता की छटा - निराली।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी।
प्रेम करते हैं मिलकर सभी,
रंग – बिरंगी है हरी – भरी,
फूलों सी है खिलती न्यारी।
बिटिया रानी प्यारी-प्यारी।
छोटी सी चंचल मतवाली,
मीठी - मीठी मधु सी प्याली,
देख जिसे थकान भी हारी।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी।
आंगन सूना खाली - खाली,
दुनिया लगती काली जाली,
हरपल है बिन उसके भारी।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी।
छोटी जैसे नन्ही चिड़िया,
रसभरी - रसीली सी पुड़िया,
परियो सी परछाई धारी।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी।
माँ - बापू का है यह सपना,
गर्म हवा आये न अंगना,
बैठ पीठ पर करे सवारी।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी।
मनसीरत ने है खूब मनाया,
मनसीरत जन्म दिन आया,
मिठाई खाएं बारी - बारी।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी।
बिटिया रानी प्यारी - प्यारी,
लाड़-लड़ाती ह्रदय दुलारी।
शिक्षक देता सबको ज्ञान
फिर भी सहता है अपमान
शिक्षक से ही बना है अपना
भारत देश महान सभी तो
कहते हैं, जमाना कहता है।
क, ख, ग, घ, पकड के अंगुली
शिक्षक ही तो सिखाता है,
बच्
शिक्षक देता सबको ज्ञान
फिर भी सहता है अपमान
शिक्षक से ही बना है अपना
भारत देश महान सभी तो
कहते हैं, जमाना कहता है।
क, ख, ग, घ, पकड के अंगुली
शिक्षक ही तो सिखाता है,
बच्चों के जीवन का अंधेरा
शिक्षक ही तो मिटाता है।
विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों क
विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है।
एक विवाह के समारोह को विवाह उत्सव (वेडिंग) कहते है।
हार कर भी, हर हालत में रखनी है,
जीतने की हमेशा, उत्कट अभिलाषा,
पतझड़ के बाद, बसंत जब आयेगा,
तो देगा उत्साह, मत रखना निराशा।
दर्द पियें और खुशी के ही गीत गाएं,
हँसते हँसा
हार कर भी, हर हालत में रखनी है,
जीतने की हमेशा, उत्कट अभिलाषा,
पतझड़ के बाद, बसंत जब आयेगा,
तो देगा उत्साह, मत रखना निराशा।
दर्द पियें और खुशी के ही गीत गाएं,
हँसते हँसाते, कुछ न कुछ गुनगुनाएं,
मुस्कराहट में, अपने सब गम भुलायें,
सपनों से खुद जगें, दूसरों को जगायें।
अपने किरदार से ही महकता है इन्सान,
चरित्र को पवित्र करने के लिये कोई भी
इत्र नहीं आता!...सौ बात की एक बात!
जिन्दगी जब भी मुश्किल समय में नाच
नचाती है, तो ढोलक बजाने वाले हमेशा
अपने किरदार से ही महकता है इन्सान,
चरित्र को पवित्र करने के लिये कोई भी
इत्र नहीं आता!...सौ बात की एक बात!
जिन्दगी जब भी मुश्किल समय में नाच
नचाती है, तो ढोलक बजाने वाले हमेशा
अपने ही होते हैं!---वाह! वाह! सही बात!
“प्यार / प्रेम” यह पुस्तक अटूट प्रेम पर आधारित एक काव्य संग्रह है। इस काव्य संग्रह की पुस्तक से भारत के बहुत बड़े – बड़े रचनाकार भाई एवं बहन हमारे साथ इस जुड़ें हैं और इन सभी लोगो
“प्यार / प्रेम” यह पुस्तक अटूट प्रेम पर आधारित एक काव्य संग्रह है। इस काव्य संग्रह की पुस्तक से भारत के बहुत बड़े – बड़े रचनाकार भाई एवं बहन हमारे साथ इस जुड़ें हैं और इन सभी लोगों ने प्रेम पर अपने खट्टे – मीठे अनुभव एवं विचारों के आधार पर प्रेम को कविता, कहानी, गीत और गजल के रूप में हमारे साथ साँझा किया और अपनी बेहतरीन रचनाओं को हमें इस पुस्तक में प्रकाशित करने की अनुमति प्रदान की। इस प्रेम और सहयोग के साथ – साथ इस अटूट विश्वास के लिए हम जीवनपर्यंत आप सभी के आभारी रहेंगे और आशा करते हैं कि आप सभी आगे भी जीवनपर्यंत हमारे साथ जुड़कर अपनी बेहतरीन रचनाओं को अन्य काव्य संग्रहों में प्रकाशित कराके लोगों को अपने साहित्यिक ज्ञान और हिन्दी भाषा के उत्थान में अपना यूँ ही योगदान देते रहेंगे।
आप सभी रचनाकारों की रचनाएं एक से बढ़कर एक रही, हो भी क्यों ना हमारी पुस्तक “प्यार / प्रेम को समर्पित जो है।
दोपहर के एक बज रहे थे, कस्तूरी किचन का काम खत्म करके अपने कमरे में आराम करने जा ही रही थी कि ससुर जी की आवाज कानों में Read More...
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