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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalM.A. NET ECONOMICS, STATISTICIAN,SCHOLAR, NATURE LOVER , WRITER former Asst. Prof. Economics, currently working as Chief Planning Officer, Udaipur Planning Dept. Government of Rajasthan, deals with data, statistics and planning.Currently writing a book on natures modus oprendi,nature-human relationship, natures fundamental rule and life on this planet. Read More...
M.A. NET ECONOMICS, STATISTICIAN,SCHOLAR, NATURE LOVER , WRITER former Asst. Prof. Economics, currently working as Chief Planning Officer, Udaipur Planning Dept. Government of Rajasthan, deals with data, statistics and planning.Currently writing a book on natures modus oprendi,nature-human relationship, natures fundamental rule and life on this planet.
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जूनून के बिना आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते, आपकी जीत और आपकी हार आप स्वयं तय करते हो। बिना कुछ खोए कुछ भी पाना असंभव हैं। आपको सफलता पाने के लिए अपना समय , अपनी लगन, अपनी
जूनून के बिना आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते, आपकी जीत और आपकी हार आप स्वयं तय करते हो। बिना कुछ खोए कुछ भी पाना असंभव हैं। आपको सफलता पाने के लिए अपना समय , अपनी लगन, अपनी मेहनत उस काम को करने में लगानी पड़ती हैं। मेरा यह मानना हैं कि ये जूनून उस काम से इश्क़ किये बिना संभव नहीं हैं ।
ईश्वर के सभी बंदे किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु सृजित किये गए हैं। जीवन की सफलता और इसका औचित्य इसी में हैं कि हम हमारे होने के उद्देश्य को पहचाने और उसे पूरा करने में जी जान लगा लें। हमारा उद्देश्य वहीं हैं जिस काम को करने में हमें आनंद आये और जिस काम को करने में हम समय के मोहताज नहीं रहें। और यह तभी संभव हैं जब हमें उस काम से इश्क़ हो। अपने उद्देश्य को पहचानना और उस उद्देश्य की पूर्ति हेतु जूनून के साथ लग जाना ही असली इश्क़ हैं , जिसका ख्वाब सभी देखते हैं पर उस ख्वाब को पूरा कुछ ही कर पाते हैं ।
इश्क़ मेरा मेरी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर लिखी गई कुल इक्कीस कविताओं का संकलन हैं। संकलन की प्रत्येक कविता जीवन में हर क्षण,परिस्थिति और आयाम से तालमेल बिठाते हुए इश्क़ की तरह जीवन में पूरा डूबकर ही जीवन की नैया पार लगाने को प्रेरित करती हैं ।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हैं कि आप जीवन के चाहे किसी भी मोड़ पर हो, ये कविताएं आपका मार्ग प्रशस्त करेगी ।
जीवन की आपाधापी और रिश्तों के मुरझाने के दौर में संवेदना के आकाश में विचरण कराने वाला काव्य-संग्रह है, श्री पुनीत शर्मा कृत 'काव्यांजलि' I इस कृति की रचनाओं को पढ़ते समय हम अ
जीवन की आपाधापी और रिश्तों के मुरझाने के दौर में संवेदना के आकाश में विचरण कराने वाला काव्य-संग्रह है, श्री पुनीत शर्मा कृत 'काव्यांजलि' I इस कृति की रचनाओं को पढ़ते समय हम अपने समय और जीवन के बहुतेरे अनुभवों से रू-ब-रू होते हैं I आत्मीयता के खोने की चिंता हो, संवेदना का सोता सूखने का भय हो अथवा मोबाइल टी.वी. आदि सबके चलते वास्तविकता से दूर काल्पनिक सामाजिकता का मुखौटा ओढ़े जाने की पीड़ा हो, कहीं न कहीं ये सारी बातें कवि के संवेदित मन को उद्वेलित करती हैं I यह उद्वेलन शब्दों में अभिव्यक्ति पाता है और हम सब भी इन अहसासों को महसूस करने लगते हैंI कवि की कुछ कविताएँ , यथा रिश्ते, शायद तुम समझ सको, भूल गए, व्यथा आदि अपने मन और परिवेश के द्वंद को मुखर करती हैं I इनमें स्वयं को समझे जाने का विश्वास भी हैं, उपेक्षा की व्यथा भी हैं, स्वीकारे न जाने का दर्द भी हैं, लेकिन अंततः सहज स्वीकारोक्ति भी है I ये कविताएँ सिर्फ व्यक्तिक अनुभव नहीं हैं अपितु अपने व्यापक दायरे में सभी को समेट लेते है I कवि की कुछ कविताओं, जैसे- मुक्ति, आओ खुलकर विरोध करें, आकाश का मौसम, रात अगर लंबी है, ये वे हैं आदि में आस्था का दृढ़ स्वर सुनाई देता है I व्यवस्था से हताश होने की बजाय कर्म करना, समस्या का समाधान खोजना महत्वपूर्ण होता है और यही पहलू इन कविताओं में अनुभूति के साथ ओज भरता है I इस काव्य-कृति की एक और विशेषता है इसमें अभिव्यंजित छोटी कविताएँ I कम शब्दों में गहरे भावों को भरे ये कविताएँ हमें सोचने को विवश करती हैं I
जूनून के बिना आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते, आपकी जीत और आपकी हार आप स्वयं तय करते हो। बिना कुछ खोए कुछ भी पाना असंभव हैं। आपको सफलता पाने के लिए अपना समय , अपनी लगन, अपनी
जूनून के बिना आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते, आपकी जीत और आपकी हार आप स्वयं तय करते हो। बिना कुछ खोए कुछ भी पाना असंभव हैं। आपको सफलता पाने के लिए अपना समय , अपनी लगन, अपनी मेहनत उस काम को करने में लगानी पड़ती हैं। मेरा यह मानना हैं कि ये जूनून उस काम से इश्क़ किये बिना संभव नहीं हैं ।
ईश्वर के सभी बंदे किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु सृजित किये गए हैं। जीवन की सफलता और इसका औचित्य इसी में हैं कि हम हमारे होने के उद्देश्य को पहचाने और उसे पूरा करने में जी जान लगा लें। हमारा उद्देश्य वहीं हैं जिस काम को करने में हमें आनंद आये और जिस काम को करने में हम समय के मोहताज नहीं रहें। और यह तभी संभव हैं जब हमें उस काम से इश्क़ हो। अपने उद्देश्य को पहचानना और उस उद्देश्य की पूर्ति हेतु जूनून के साथ लग जाना ही असली इश्क़ हैं , जिसका ख्वाब सभी देखते हैं पर उस ख्वाब को पूरा कुछ ही कर पाते हैं ।
इश्क़ मेरा मेरी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर लिखी गई कुल इक्कीस कविताओं का संकलन हैं। संकलन की प्रत्येक कविता जीवन में हर क्षण,परिस्थिति और आयाम से तालमेल बिठाते हुए इश्क़ की तरह जीवन में पूरा डूबकर ही जीवन की नैया पार लगाने को प्रेरित करती हैं ।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हैं कि आप जीवन के चाहे किसी भी मोड़ पर हो, ये कविताएं आपका मार्ग प्रशस्त करेगी ।
"Oh Dear, Oh Dear, Don't You See" is an enchanting collection of poetry that explores human nature and the natural world. This airy compilation explores Prakriti and Purusha's dynamic connection. The poems depict Prakriti's ever-changing manifestations and Purusha's everlasting awareness via vibrant imagery and deep symbolism. Each stanza encourages readers on a soul-stirring investigation of their own wants, relationships, and conflicts. As the poems illustra
"Oh Dear, Oh Dear, Don't You See" is an enchanting collection of poetry that explores human nature and the natural world. This airy compilation explores Prakriti and Purusha's dynamic connection. The poems depict Prakriti's ever-changing manifestations and Purusha's everlasting awareness via vibrant imagery and deep symbolism. Each stanza encourages readers on a soul-stirring investigation of their own wants, relationships, and conflicts. As the poems illustrate human and natural behavior, watch the material and transcendent dance. The poet describes our common path, from cravings to emancipation. These poems provide a way to self-realization and transcendence. Like whispers from the timeless, the words let readers comprehend themselves. The poet's words show how to escape consumerism via awareness, letting go, and simplicity."Oh Dear, Oh Dear, Don't You See" celebrates life's concrete and intangible beauty. This collection's engaging lines and thought-provoking analogies encourage readers to contemplate and explore their souls. This book will take poets and spiritual seekers to a world where words become a symphony. Let the fascinating lines awaken your senses, kindle your imagination, and open your heart to Samkhya philosophy's ageless wisdom.
Dream, Dream and Dream
Try, Try and Try
Belief provides fuel to inspire children to think beyond imagination.
Dreams come true if we continuously work on them.
Don't let your dreams disappear in seconds. Work purely on them to get success.
The mind of every child is a dream generating womb. Nurturing dreams and giving wings to imagination is a pure act of the whole mind.
Cultivation of imagination in the new mind should be the sole aim
Dream, Dream and Dream
Try, Try and Try
Belief provides fuel to inspire children to think beyond imagination.
Dreams come true if we continuously work on them.
Don't let your dreams disappear in seconds. Work purely on them to get success.
The mind of every child is a dream generating womb. Nurturing dreams and giving wings to imagination is a pure act of the whole mind.
Cultivation of imagination in the new mind should be the sole aim of a child-friendly society.
"My True Dreams - Belief Ignites Beautiful Mind " is the story of a child who fights for his dreams because he believes that dreams always comes true.
यह दुनिया एक आभासी दुनिया है। यह आपके और हमारे विचारों से निर्मित है। हमारे विचार, हमारी सोच से निर्मित होते हैं, हमारी सोच हमारे वातावरण पर निर्भर करती हैं, वातावरण हमारे नियंत्
यह दुनिया एक आभासी दुनिया है। यह आपके और हमारे विचारों से निर्मित है। हमारे विचार, हमारी सोच से निर्मित होते हैं, हमारी सोच हमारे वातावरण पर निर्भर करती हैं, वातावरण हमारे नियंत्रण में नहीं होता, अतः हमारे विचार हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं, इसी कारण से पीढ़ी दर पीढ़ी विचार और व्यवहार में परिवर्तन होता रहता है। पिछली पीढ़ी के विचार अगली पीढ़ी तक उसी रूप में नहीं पहुंचते उनमें बदलाव स्वाभाविक है।
क्योंकि समय बदलता है, इसलिए विचार बदलते हैं, विचार बदलते हैं इसलिए व्यवहार बदलता है, व्यवहार बदलता है इस कारण अगली पीढ़ी पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक उत्साहित होती हैं और यही उत्साह जीवन हैं। अर्थात हमारा नज़रिया ही हमारी दशा और दिशा निर्धारित करता है । किसी ने सही कहा हैं-
कश्तियाँ बदलने की जरूरत ही कहा हैं ?
कश्ती के रूख को बदलो किनारे बदल जायेंगे।
सोच को बदलो सितारें बदल जायेंगे।
नज़रिये को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे।
हम सभी के लिए पृथ्वी मात्र एक ही ग्रह है
आओ प्रकृति से सीखे कि यहाँ अनंत परिणाम कैसे प्राप्त करें ?
पुस्तकें मानव जाति के लिए ईश्वर का संदेश हैं
प्रकृति की आवाज इस पुस्तक
हम सभी के लिए पृथ्वी मात्र एक ही ग्रह है
आओ प्रकृति से सीखे कि यहाँ अनंत परिणाम कैसे प्राप्त करें ?
पुस्तकें मानव जाति के लिए ईश्वर का संदेश हैं
प्रकृति की आवाज इस पुस्तक का विषय है
पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादय पूर्णमेवसिष्यते
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
बाहरी और आंतरिक दोनों जगत पूर्ण हैं। जगत दिव्य चैतन्य की परिपूर्णता से प्रकट होता है, अत: संपूर्ण में से संपूर्ण को निकाल लेने से भी वह संपूर्ण ही रहता है। (क्योंकि दिव्य चेतना अद्वैत और अनंत है) ॐ शान्ति, शान्ति, शान्ति।
प्रकृति को क्या कहना है ? इस पर ध्यान देने के लिए हमसे जुड़ें
द बुक एसेंस ऑफ लाइफ- डिवाइड बाय जीरो प्रकृति की आवाज है। प्रकृति इस ग्रह पर सभी प्रजातियों के लिए एक दिव्य उद्देश्य के लिए स्वाभाविक रूप से पोषण करती है, लेकिन दुर्भाग्य से, मनुष्य इस उद्देश्य को महसूस नहीं कर सके और बहुत कुछ भुगतना पड़ा। इंसानों के लिए ही नहीं, एक ही ग्रह है। पुस्तक का सार यह है कि कैसे प्रकृति उपलब्ध प्रचुर संसाधनों को सभी प्राणियों में विभाजित करती है और अनंत परिणाम प्राप्त करती है। लेकिन अर्थव्यवस्थाओं द्वारा निर्देशित हम मनुष्य कभी भी प्रकृति के मूल नियम को समझने की कोशिश नहीं करते हैं। क्या हम अनंत परिणाम प्राप्त करने के लिए शून्य से भाग दे सकते हैं? यदि हाँ, तो कैसे? जैसे हमारे सभी कर्म प्रकृति के लिए, प्रकृति के लिए और प्रकृति के लिए हैं, हमें यह सोचना चाहिए कि हमें क्या मिलता है लेकिन हम क्या देते हैं?
www.dividebyzero.life
चिकली-पिकली मेरे द्वारा की गयी चित्रकारी की मेरी पहली पुस्तक हैं । इस पुस्तक में मेरी तेरह पेंटिंग्स संकलित की गई हैं जो कि मैंने प्रकृति के विभिन्न पहलुओं पर बनाई हैं। इस पुस्त
चिकली-पिकली मेरे द्वारा की गयी चित्रकारी की मेरी पहली पुस्तक हैं । इस पुस्तक में मेरी तेरह पेंटिंग्स संकलित की गई हैं जो कि मैंने प्रकृति के विभिन्न पहलुओं पर बनाई हैं। इस पुस्तक के माध्यम से मैंने मेरी उम्र की पाठकों को सोचने पर मजबूर किया है कि किस प्रकार से प्रकृति के अनंत सहजीवी पशु- पक्षी, जीव -जंतु, फूल- पौधे इत्यादि मानव जन्य विकास की भेंट चढ़ रहे हैं ।
आप सभी से मैं यही चाहती हूं कि इन पेंटिंग्स को देखकर आप उस पर अपनी रचनाएं लिखें। उन रचनाओं को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और पर्यावरण संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दें। आपको मेरी पुस्तक में विभिन्न विषयों पर चित्रकारी मिलेगी, आप अपना फीडबैक मुझे मेरे मेल आईडी पर भी दे सकते हैं। chiklipikali@gmail.com
अहम ब्रह्मस्मि -पुस्तक ''मैं मैं ही रहा''- मैं कैलाशी रहा, मैं मैंने जीवन के मूल अर्थ को पहचानने का प्रयास किया है और अनुभव को पाठकों के साथ साझा करने का प्रयास किया है । जीवन में हम त
अहम ब्रह्मस्मि -पुस्तक ''मैं मैं ही रहा''- मैं कैलाशी रहा, मैं मैंने जीवन के मूल अर्थ को पहचानने का प्रयास किया है और अनुभव को पाठकों के साथ साझा करने का प्रयास किया है । जीवन में हम तब तक परम आनंद प्राप्त नहीं कर सकते जब तक हम अपने अस्तित्व को समझ नहीं लेते । सृष्टि में सभी जीव अपने किसी न किसी मूल उद्देश्य को लेकर सृष्टि द्वारा पल्लवित और पुष्पित किए गए हैं। उसे यह समझने का प्रयास करना चाहिए कि उसका जीवन किन मूलभूत अनंत उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए है। यदि वह अपने होने के उद्देश्य को नहीं पहचानता नहीं जानता और अनुभव नहीं करता तो उसका जीवन वास्तविक अर्थ में अभिव्यक्त नहीं है।संसार में सभी इस जद्दोजहद में लगे हैं कि उनके होने का उद्देश्य क्या है ? परंतु कोई भी स्वयं को पहचान नहीं पा रहा है क्योंकि वह दूसरों को समझने और दुनिया को देखने- समझने में ही व्यस्त हैं। जबकि आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने आप को पहचाने, यदि हमने स्वयं के दर्शन कर लिए तो हम सब कुछ जान लेंगे, सब कुछ पा लेंगे। हमें इधर-उधर भटकना छोड़कर स्वयं को स्वयं से तलाशना और पहचानना प्रारंभ करना चाहिए और अपने अस्तित्व के उद्देश्य को समझना चाहिए । तभी हम सही अर्थों में कैलाशी हैं।यह दुनिया मात्र एक आभासी दुनिया है । हमारी लड़ाई अपने आप से हैं।हमारी जीत और हार अपने आप से हैं।मुझे मुझसे ही जीतना है मुझे मुझको ही हराना है तभी मेरी असली जीत है। मुझे मुझको ही खोजना है मुझे मुझको ही पाना है यही मेरी असली खोज हैं।मुझे मैं से भागना नहीं मुझे मैं को ही पहचानना हैं यही मेरी असली पहचान हैं। मैं ही ॐ ....मैं ही कैलाशी .....मैं ही मैं हूँ.....
Mystics Of Love by Mr. ‘KAILASHI’ Punit D. Sharma and Miss Sheena Choudhary offer a wonderful insight into the world of love. Love, as an emotion has been always astonishing to the human soul. We are always lured by the notion of love. This particular compilation takes us on a remarkable journey. Our heart experiences countless aches of happiness, sorrow, excitement, and anger. In fact, the book is a roller coaster ride of emotions. As the title su
Mystics Of Love by Mr. ‘KAILASHI’ Punit D. Sharma and Miss Sheena Choudhary offer a wonderful insight into the world of love. Love, as an emotion has been always astonishing to the human soul. We are always lured by the notion of love. This particular compilation takes us on a remarkable journey. Our heart experiences countless aches of happiness, sorrow, excitement, and anger. In fact, the book is a roller coaster ride of emotions. As the title suggests, poems weave an intricate web of mystic love. Both the authors delve passionately into the realm of love. On one hand, Mr. Sharma indulges in intense fabricating of platonic love. His poems captivate our soul as it stirs our idea of love. On the other hand, Miss Sheena constructs an engaging feminine reflection of love. Her love passes through banal reality to celestial emotions.
These love poems touch strings of the soul. They proffer us an elixir of love. Mystics Of Love is a splendid collection of lucid and pungent poems devising a new universe of love for us. Readers are definitely going to enjoy this compilation. These love words will diffuse into their blood melting their soul profusely. I wish both authors the best of luck for a brilliant compilation.
Shivani Bhatia
AECC Guest Faculty
Delhi School of Journalism
The University of Delhi
New Delhi, India.
LET’S LEARN FROM NATURE HOW TO ATTAIN INTERMINABLE RESULTS ONLY ONE PLANET FOR ALL
Books are God's message to mankind.
THE VOICE OF NATURE IS THE SUBJECT OF THIS BOOK.
OM PURNAMADAM PURNAMIDAM
PURNAT PUNYA MUDACHTE
PURNASYA PURNA MADAYA
PURNAMEVA VASISAYTE
Both the outer and inner worlds are complete.
The world appears from the fullness of the divine consciousness,
LET’S LEARN FROM NATURE HOW TO ATTAIN INTERMINABLE RESULTS ONLY ONE PLANET FOR ALL
Books are God's message to mankind.
THE VOICE OF NATURE IS THE SUBJECT OF THIS BOOK.
OM PURNAMADAM PURNAMIDAM
PURNAT PUNYA MUDACHTE
PURNASYA PURNA MADAYA
PURNAMEVA VASISAYTE
Both the outer and inner worlds are complete.
The world appears from the fullness of the divine consciousness,
so even after taking the whole out of the whole, it remains complete.
(Because the divine consciousness is non-dual and innite)
Om Shanti, Shanti, Shanti.
Join us in paying attention to what nature has to say?
www,dividebyzero.life
जीवन की आपाधापी और रिश्तों के मुरझाने के दौर में संवेदना के आकाश में विचरण कराने वाला काव्य-संग्रह है, श्री पुनीत शर्मा कृत 'काव्यांजलि' I इस कृति की रचनाओं को पढ़ते समय हम अ
जीवन की आपाधापी और रिश्तों के मुरझाने के दौर में संवेदना के आकाश में विचरण कराने वाला काव्य-संग्रह है, श्री पुनीत शर्मा कृत 'काव्यांजलि' I इस कृति की रचनाओं को पढ़ते समय हम अपने समय और जीवन के बहुतेरे अनुभवों से रू-ब-रू होते हैं I आत्मीयता के खोने की चिंता हो, संवेदना का सोता सूखने का भय हो अथवा मोबाइल टी.वी. आदि सबके चलते वास्तविकता से दूर काल्पनिक सामाजिकता का मुखौटा ओढ़े जाने की पीड़ा हो, कहीं न कहीं ये सारी बातें कवि के संवेदित मन को उद्वेलित करती हैं I यह उद्वेलन शब्दों में अभिव्यक्ति पाता है और हम सब भी इन अहसासों को महसूस करने लगते हैंI कवि की कुछ कविताएँ , यथा रिश्ते, शायद तुम समझ सको, भूल गए, व्यथा आदि अपने मन और परिवेश के द्वंद को मुखर करती हैं I इनमें स्वयं को समझे जाने का विश्वास भी हैं, उपेक्षा की व्यथा भी हैं, स्वीकारे न जाने का दर्द भी हैं, लेकिन अंततः सहज स्वीकारोक्ति भी है I ये कविताएँ सिर्फ व्यक्तिक अनुभव नहीं हैं अपितु अपने व्यापक दायरे में सभी को समेट लेते है I कवि की कुछ कविताओं, जैसे- मुक्ति, आओ खुलकर विरोध करें, आकाश का मौसम, रात अगर लंबी है, ये वे हैं आदि में आस्था का दृढ़ स्वर सुनाई देता है I व्यवस्था से हताश होने की बजाय कर्म करना, समस्या का समाधान खोजना महत्वपूर्ण होता है और यही पहलू इन कविताओं में अनुभूति के साथ ओज भरता है I इस काव्य-कृति की एक और विशेषता है इसमें अभिव्यंजित छोटी कविताएँ I कम शब्दों में गहरे भावों को भरे ये कविताएँ हमें सोचने को विवश करती हैं I
जब भी हम कोई कार्य करना चाहते हैं या यह हमें लगता है कि हमें यह कार्य करना चाहिए तो हमारे मन में यही विचार आता है कि क Read More...
किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने आप की क्षमता को पहचानना है। यदि हम अपने चारों और नजर घुमाकर देखते हैं त Read More...
मेरी इस कहानी का शीर्षक पढ़कर आप में से कई श्रोता यह सोच रहे होंगे कि मैं किस डिक्शनरी की बात कर रहा हूं और डिक्शनरी Read More...
जैव-उन्नयन सतत विकास की गाथा घने जंगल में एक बंदर और उसका परिवार रहता था। बंदर और उसका परिवार एक पेड़ पर रहता था। जं Read More...
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