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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palरेखा परिचय मैं मनोविज्ञान में पीएचडी, एचआर में पीजीडीएम, बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउंसिलर और एक लेखिका हूँ। मुझे नर्सरी से एमबीए तक के छात्रों को पढ़ाने और उनके साथ समय बिताने का सुअवसर मिला है। नन्हें बच्चों से ले कर स्नातकोत्तरRead More...
रेखा परिचय
मैं मनोविज्ञान में पीएचडी, एचआर में पीजीडीएम, बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउंसिलर और एक लेखिका हूँ। मुझे नर्सरी से एमबीए तक के छात्रों को पढ़ाने और उनके साथ समय बिताने का सुअवसर मिला है। नन्हें बच्चों से ले कर स्नातकोत्तर तक के छात्रों को पढ़ाने के दौरान मैंनें बहुत कुछ पढ़ा और लिखा। मेरी शादी कम वयस में हो गई थी। शादी के बाद मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उस दौरान महिलाओं और बच्चों की समस्याओं की ओर ध्यान गया और उनकी बातों में मेरी रुचि में बढ़ गई। यह मेरे लेखन में भी झलकता है।
रचनात्मक लेखन में मेरी रुचि अनजाने में, अवचेतन रूप से हुई। वर्षों पहले, पोस्ट ग्रेजुएट साइकोलॉजी के लिए स्टडी मटीरीयल, कुछ आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक लेख लिखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे लिखना कितना पसंद है। इससे मुझे ताज़गी और ख़ुशी मिलती है। मेरे लेखन यात्रा में मेरा मनोविज्ञान थीसिस, बाल मनोविज्ञान पर आधारित लेख व कहानियाँ, कविताएँ, अन्य कहानियाँ, आध्यात्मिक लेख, पोस्ट ग्रेजुएट मनोविज्ञान की पुस्तकें, अनुवाद आदि शामिल हैं। जब मुझे ब्लॉग की दुनिया मिली, तब मुझे महसूस हुआ, मेरे सामने लेखन के लिये खुला, अंनंत आकाश है। यहाँ मेरे लेखन को बहुत प्रोत्साहन मिला और उसमें लिखने तारतम्यता आई। मेरी यह जीती-जागती पुस्तक लेखन के प्रति मेरे प्यार और लगाव का साकार रूप है।
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"कृष्ण" किसी परिचय के मोहताज नहीं है। यह किताब सरल शब्दों में कान्हा के जीवन के बारे में बताती है।
यह बच्चों की किताब है। जो हिन्दी में लिखी गई है। इसमें कृष्ण के चमत्कार, उनकी
"कृष्ण" किसी परिचय के मोहताज नहीं है। यह किताब सरल शब्दों में कान्हा के जीवन के बारे में बताती है।
यह बच्चों की किताब है। जो हिन्दी में लिखी गई है। इसमें कृष्ण के चमत्कार, उनकी शृंगार, लीलाएं, और उनकी रास लीलाओं का वर्णन है। जिससे हमारे बच्चे भगवान कृष्ण के जीवन के अद्वितीय प्रेरणादायक पहलुओं को जान सकें। यह किताब रंगीन और खूबसूरत चित्रों की मदद से बच्चों को भगवान कृष्ण की मनभावन दुनिया का सफर कराने की कोशिश। है।
कृष्ण को आभार।
The contemporary Indian women are caught between the traditional past and a modern future inspired by their own dreams and aspirations
The present study is focusing on the life of educated married employed and unemployed women It is an attempt of throwing light on the educated, married women's changing position in the society with special attention on a few psychological variable such as self-concept, sex role and marital adjustment.
The contemporary Indian women are caught between the traditional past and a modern future inspired by their own dreams and aspirations
The present study is focusing on the life of educated married employed and unemployed women It is an attempt of throwing light on the educated, married women's changing position in the society with special attention on a few psychological variable such as self-concept, sex role and marital adjustment.
रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।
छोटे और प्रभावशाली उद
रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।
छोटे और प्रभावशाली उद्धरण और कोट्स चंद पंक्तियों, कुछ दिलचस्प मनोवैज्ञानिक तथ्य वह जादू कर देते है, जो लम्बे लेख नहीं कर पाते। कुछ पंक्तियों में लिखीं दिल की बातें, दिल छू जातीं हैं। ऐसी कुछ हीं पंक्तियाँ ज़िंदगी की राहें और सोंच निख़ार देतीं हैं। कई बार कुछ ऐसे कोट्स जीवन के आदर्श-वाक्य बन जाते हैं। कोट्स के इस संकलन में ऐसे हीं रूहानी विचार, और ज़िंदगी की तरग़ीबी…. प्रेरक बातें है।
रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।
छोटे और प्रभावशाली उ
रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।
छोटे और प्रभावशाली उद्धरण और कोट्स चंद पंक्तियों में हीं वह जादू कर देते है, जो लम्बे लेख नहीं कर पाते। कुछ पंक्तियों में लिखीं दिल की बातें, दिल छू जातीं हैं। ऐसी कुछ हीं पंक्तियाँ ज़िंदगी की राहें और सोंच निख़ार देतीं हैं। कई बार कुछ कोट्स जीवन के आदर्श-वाक्य बन जाते हैं। कोट्स के इस संकलन में ऐसे हीं रूहानी विचार, और ज़िंदगी की तरग़ीबी…. प्रेरक बातें है।
यह किताब बेहद पुरानी और अनमोल आध्यात्मिक कविताओं का संग्रह है। जिसे बुद्ध और महावीर के उपदेश की प्राचीन भाषा मगही में लिखी गई है। जो मौर्यकाल के स्वर्णिम इतिहास की भाषा है।
यह किताब बेहद पुरानी और अनमोल आध्यात्मिक कविताओं का संग्रह है। जिसे बुद्ध और महावीर के उपदेश की प्राचीन भाषा मगही में लिखी गई है। जो मौर्यकाल के स्वर्णिम इतिहास की भाषा है।
इस किताब में मूल मगही कविताएँ और उसका हिंदी अनुवाद दिया गया है।
मेरे लिए गौरव की बात है कि कवित्री स्वर्गीय श्रीमती श्याम प्यारी कुँवर मेरी नानी थीं। यह मेरा सौभाग्य है कि दो पीढ़ियों के बाद मुझे इसका अनुवाद करने का अवसर मिला।
कृपया इसे पढ़े और अपने अनमोल विचार ज़रूर बाटें और यादों का ख़ज़ाना हो तब ज़रूर बताएँ। आपके रिव्यु का स्वागत है।
रेखा
यह एक मोटिवेशनल किताब है। जो जिंदगी में हौसला और हिम्मत देती हैं।
हम सबों के जीवन में अक्सर अंधकारमय पल आतें हैं। कभी ऐसा वक्त आता है, जब हमारा दिल टूटा होता है। जब हमारी
यह एक मोटिवेशनल किताब है। जो जिंदगी में हौसला और हिम्मत देती हैं।
हम सबों के जीवन में अक्सर अंधकारमय पल आतें हैं। कभी ऐसा वक्त आता है, जब हमारा दिल टूटा होता है। जब हमारी अंतरात्मा घायल होती है। जब हम खंडित व बिखरा हुआ महसूस करते है। जब हमें कोई उम्मीद की किरण नज़र नहीं आती है। ऐसे में रूमी की कविताएँ दिल आत्मा पर मरहम का काम करतीं हैं। यह प्रेरणा देती हैं। यह इश्क को इबादत बनाना सिखाती है और इबादत को इश्क की तरह देखना सिखाती है। यह प्यार को सही अर्थ की और, ईश्वर की तरफ, सत्य के पथ पर ले जाती हैं।
बच्चों को मनोवैज्ञानिक तरीके से सरलता से बहुत कुछ सिखाया और समझाया जा सकता है। इसके लिए बाल मन को समझना जरूरी है। बच्चे फैंटेसी, कल्पना की दुनिया, पशु-पक्षियों, परियों, काल्पनि
बच्चों को मनोवैज्ञानिक तरीके से सरलता से बहुत कुछ सिखाया और समझाया जा सकता है। इसके लिए बाल मन को समझना जरूरी है। बच्चे फैंटेसी, कल्पना की दुनिया, पशु-पक्षियों, परियों, काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर, काल्पनिक पात्रों आदि की जानकारियां पसंद करते हैं। कहानियाँ हमेशा से बच्चों की दुनिया में महत्व रखती हैं। पहले अक्सर घर के बड़े बुजुर्ग बच्चों को सोने से पहले कहानियां सुनाया करते थे। मनोविज्ञान के अनुसार, सोने से पहले पढ़ी या सुनी गई बातें बच्चों को अच्छे से याद रहती हैं। क्योंकि इस समय पढ़ी या सुनी गई बातों के मेमोरी ट्रेसेज उनके मस्तिष्क में बिना विशेष मेहनत के बन जाती हैं।
आज वीडियो गेम, कंप्यूटर और इंटरनेट के जमाने में बाल साहित्य, विशेषकर मातृ भाषा में लिखी गई कहानियां कम हो रही हैं। इसलिए कम उम्र से बच्चों को कहानियां पढ़ने की आदत लगानी चाहिए। कहानियां बच्चों के विकास का महत्वपूर्ण अंग है । कहानियां बच्चों में कल्पनाशीलता विकसित करती हैं और उनकी पढ़ाई में भी मदद करता है। मातृभाषा में पढ़ी गई कहानियां उनमें जिज्ञासा, भाषा विकास, कल्पनाशीलता, समझदारी और रचनात्मकता विकसित करती हैं। फैंटेसी और अच्छे अंत वाली कहानियां बच्चों में सकारात्मक व्यवहार बढ़ाती हैं। इससे उनकी भाषा और सामान्य ज्ञान पर अच्छी पकड़ बनती है।
यह एक रोमांटिक उपन्यास है। यह कहानी इसकी चुलबुली नायिका के इर्द-गिर्द घूमती है। जिसे आस-पास हो रहे गलत बातों से बड़ी शिकायत है। एक गलतफहमी की वजह से उसकी मुलाकात उपन्
यह एक रोमांटिक उपन्यास है। यह कहानी इसकी चुलबुली नायिका के इर्द-गिर्द घूमती है। जिसे आस-पास हो रहे गलत बातों से बड़ी शिकायत है। एक गलतफहमी की वजह से उसकी मुलाकात उपन्यास के नायक से होती है। वह बेहद शरारती है। वह लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और अन्य गलत बातों का विरोध करती रहती है। उसे लगता है उपन्यास का नायक ऐसे गलत हरकतों करने वाले में से एक है। वह चंचल है , पर बेहद समझदार है। वह अक्सर समझदारी से बहुत सी समस्याओं को चुटकियों में सुलझाती रहती है। वह भविष्य में इंजीनियर बनना चाहती है। उसने मेहनत से अपना यह सपना साकार भी होता है। यह उपन्यास लड़कियों के सपने देखने और उन्हें पूरा करने के बीच के जद्दोजहद पर आधारित है। यह कहानी अशिक्षा और बेटे- बेटियों के बीच के भेदभाव के नतीजों को दिखलाती है। यह कहानी एक ऐसे परिवार के बारे में है। जो बेटियों और बेटों में भेदभाव नहीं करता। उनकी ज़हींन बेटियां उन का गर्व है। लेकिन उनका संयुक्त परिवार इससे सहमत नहीं है। उनके संयुक्त परिवार के कुछ सदस्य आज के समय में भी घर के जायदाद में बेटियों को हकदार नहीं मानते हैं। मेरे इस उपन्यास के जन्म की कथा मेरी अन्य रचनाअों से अलग है। इस उपन्यास को लिखने के लिए जेहन में पहले से कोई प्लान नहीं था। मैंने एक धारावाहिक उपन्यास प्रतियोगिता का आमंत्रण देखकर इसे लिखना शुरू किया। थोड़ी कहानी लिखने के बाद इसके पात्र मुझे वास्तविक लगने लगे। लगा जैसे वे मुझसे बातें कर रहे हैं। क्योंकि वे सब जिंदगी की किसी न किसी सच्ची घटना से जुड़े हुए थे। इसलिए इसे मैं आगे लिखती चली गई। प्रतियोगिता संचालकों से कोई उत्तर न मिलने पर इसे मैंने उपन्यास के रूप में पब्लिश करने का निर्णय लिया।
कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया, कल्प
कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया, कल्पना के सहारे ज़िंदगी के सच्चे रंग नहीं उकेरे जा सकते। ऐसे रंग कभी बहुत गहरे, कभी हल्के और कभी बदरंग हो जातें हैं।
लिखने के लिये चाहिये जिंदगी के सच्चे सबक, सच्ची घटनायें, अनुभव और इनमें बहते पानी सा प्रवाह लाने के लिए थोड़ी कल्पनाएँ. तब ये शब्दों और लफ़्जों का लिबास पहन कहानियाँ बनतीं हैं.
ज़िंदगी की कुछ चुनी घटनाओं को कहानियों में ढालने की यह कोशिश कैसी लगी? पढ़ कर देखिये।
कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया लफ़्ज
कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया लफ़्ज़ों, नज़्मों, कविताओं के खेल निराले होते हैं। तूलिका पकड़, कल्पना के सहारे ज़िंदगी के सच्चे रंग नहीं उकेरे जा सकते। ऐसे रंग कभी बहुत गहरे, कभी हल्के और कभी बदरंग हो जातें हैं।
लिखने के लिये चाहिये जिंदगी के सच्चे सबक, सच्ची सीख, चोटें, अनुभव और उनसे निचोड़े लफ्ज़। इनसे बनती हैं सच्ची कविताएँ और नज़्म। सच है, दिल से निकली बातें हीं दिल तक जाती हैं। बहते पानी सी अनवरत चलती ज़िदगीं ने बहुत रंग दिखाये। जीवन में उतार-चढ़ाव और ठहराव दिखाये। ख़ुद आईना बनने की कोशिश में इन सब को शब्दों और लफ़्जों का जामा....लिबास पहना कविता का रुप दे दिया। ज़िंदगी को इन कविताओं में ढालने की यह कोशिश कैसी लगी? क्या ये कवितायें आपके दिल को छूती हैं? पढ़ कर देखिये।
सब ठीक हो जाएगा बात बरसों पुरानी है। यह एक छोटे, जीवंत शहर धनबाद की कहानी है। एक दिन की बात है। शायद फरवरी का आखि Read More...
मैं ने भी प्यार किया, सुमित्रा पुत्र लक्ष्मण से। मैं जनक नन्दिनी थी, पर नहीं कहलाई जानकी। ना कहा किसी ने मिथील Read More...
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